इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की ग्राहयता

 इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की ग्राहयता (धारा 65 'क') -

साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 'क' में इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख से संबंधित साक्ष्य के बारे में विशेष प्रावधान किया गया है-

इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की अंतर्वस्तुऐं धारा 65 'ख' के प्रावधानों के अनुसार साबित की जा सकेंगी।

धारा 65 'ख' इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की ग्राहयता-


(1) इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख में अंतविष्ट सूचना को जब कागज पर मुद्रित और उसे सुरक्षित कर लिया जाए या ऑप्टिकल या मैग्नेटिक माध्यम द्वारा उसका रिकॉर्ड बनाया जाए या प्रतियां बनाई जाए तो उसे कंप्यूटर आउटपुट कहा जाएगा और इसे एक दस्तावेज माना जाएगा।

(2)  कंप्यूटर अभिलेख की ग्राहयता  के संबंध में शर्तें निम्नलिखित है-

(क) आवश्यक है कि जिस कंप्यूटर से अभिलेख निकाला गया है वह नियमित रूप से उसमें दी गई सूचना को भंडारित या संसाधित करने के लिए उपयोग में लिया जाता है। जिससे वह व्यक्ति जो कंप्यूटर पर विधिवत नियंत्रण रखता है, अपने कारोबार के लिए सूचना को  कार्य में लेता है।

(ख) ऐसी सूचना हो जो नियमित रूप से कार्यकलाप के  आपके सामान्य अनुक्रम में भरी जाती है। 

(ग) आवश्यक है कि अवधि के दौरान सूचना कंप्यूटर भरी गई थी उस समय कंप्यूटर समुचित ढंग से संचालित हो रहा था। यदि ऐसा नहीं था तो यह बताना होगा कि उसमें भरी गई सूचना या उसके अंतरवस्तुओं की शुद्धता पर कोई प्रभाव आया आया हो।

(घ) इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख से निकाली गई सूचना, ऐसी सूचना से ली गई है जो उसमें कारोबार के सामान्य अनुक्रम के दौरान भरी गई थी।

(4) जब किसी कार्यवाही में इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख से संबंधित कोई अभीकथन किया जाता है तब निम्नलिखित शर्तें पूर्ण हो-

(क) एक प्रमाण पत्र हो जो कथन को अंतरविष्ट करते हुए इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की पहचान करता हो,

 (ख)प्रमाण पत्र अवश्य ही उस तरीके का उल्लेख करता हो, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को प्रस्तुत किया गया हो,

(ग) प्रमाण पत्र उस अभिलेख के प्रस्तुतीकरण में अंतविष्ट पत्रों के विशिष्टयों को पूरा करता हो।

(घ) प्रमाण पत्र में धारा 65 (ख) (2) के अंतर्गत लागू शर्तें अवश्य पूर्ण किया गया हो।

(ङ) प्रमाण पत्र अवश्य ही प्रासंगिक यंत्र के संचालन के संबंध में ऐसे व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित हो जो एक जिम्मेदार पदीय स्थिति को धारण किया हुआ था।

 यह पर्याप्त होगा कि जो व्यक्ति कथन प्रमाणित कर रहा है उसमें ऐसा अपने सर्वोत्तम ज्ञान और विश्वास में किया है।

     अनवर पी.वी. Vs पी.के. बसीर 2014 के वाद में अभिनिर्धारित किया गया कि इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख अपने मूल रूप में दस्तावेज है  वे केवल तब ही साक्ष्य में ग्राहय होंगे जब 65 (ख) (4) के शर्तों को पूर्ण करते हैं। प्रमाण पत्र की अनुपस्थिति में इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख का द्वितीयक साक्ष्य अग्राह्य  है इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख का प्राथमिक साक्ष्य धारा  65 (ख) के औपचारिकता के साथ ग्राहय होंगे।

     अर्जुन पंडित खोटकर बनाम कैलाश कुशनराव जुलाई 2020 के वाद में अभिनिर्धारित किया गया कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 (ख) (4) के अंतर्गत प्रमाण पत्र आवश्यक नहीं है यदि दस्तावेज स्वयं  प्रस्तुत कर दिया गया है,  लेकिन ऐसे किसी मूल दस्तावेज अर्थात किसी लैपटॉप, कंप्यूटर, कंप्यूटर टेबलेट या मोबाइल फोन को उसके मालिक द्वारा न्यायालय के कटघरे में आकर और यह साबित किया गया होना चाहिए कि संबंधित यंत्र, जिस पर मूल सूचना पहली बार भंडारण किया गया था, उसके स्वामित्व या संचालन में था।


      प्रश्न- साक्ष्य अधिनियम 1872 में इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की ग्राहयता के बारे में क्या विशेष प्रावधान किए गए हैं ? किसी न्यायालय के सम्मुख कार्यवाई के दौरान किन परिस्थितियों में इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख में उपलब्ध सूचना साक्ष्य में स्वीकार की जा सकती है ? संबंधित प्रावधानों के संदर्भ में विवेचना करें।


     










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