विबंध साक्ष्य अधिनियम की धारा 115

विबंध(Estoppel)- 

विबंध का सिद्धांत साम्य,  न्याय, शुद्ध अंतःकरण के सिद्धांत पर आधारित है यह कार्य का कारण न होकर साक्ष्य का नियम है   विबंध अंग्रेजी शब्द (   Estoppel) फ्रेंच भाषा के Estop शब्द से बना है | जिसका अर्थ है रोकना ।

         भारतीय साक्ष्य अधिनियम के भाग 3 अध्याय 8 धारा 115 से - 117 तक विबंध से संबंधित है तथा धारा 115 में सामान्य नियम तथा धारा 117 में भी विनिर्दिष्ट मामले प्रावधानित है ।

          धारा 115 में वर्णित सिद्धांत पिकार्ड बनाम सियस  में निर्णित सिद्धांत को मान्यता प्रदान करती है । इस धारा का एकमात्र दृष्टांत इसी प्रकरण के तथ्यों पर आधारित है।

          धारा 115 के अनुसार जबकि एक व्यक्ति ने अपनी घोषणा कार्य या लोप द्वारा अन्य व्यक्ति को विश्वास कराया है या कर लेने दिया है कि कोई बात सत्य है और ऐसे विश्वास पर कार्य कराया है या करने दिया है तब ना तो उसे न उसके प्रतिनिधि को अपने और ऐसे व्यक्ति के या उसके प्रतिनिधि के बीच में किसी वाद या कार्यवाही में इस बात की सत्यता का प्रत्याखान करने दिया जाएगा ।

           दृष्टांत-  "क" साशय और मिथ्यारूप से "ख" को यह विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है कि अमुक भूमि "क" की है और एतदद्वारा "ख" को उसे क्रय करने या मूल्य चुकाने के लिए उत्प्रेरित करता है तत्पश्चात भूमि "क" की संपत्ति हो जाती है । "क" इस आधार पर की विक्रय के समय उसमें उसका हक नहीं था विक्रय अपास्त  करने की इप्सा करता है है उसे अपने हक का अभाव साबित करने नहीं दिया जाएगा ।

         विबंध के सिद्धांत-

(1) यह कि कोई अपने दोषपूर्ण कार्य का लाभ नहीं ले सकता ।

(2) यह कि कोई व्यक्ति एक साथ गर्म एवं ठंडी सांस नहीं ले सकता। (3) यह कि कोई व्यक्ति एक साथ स्वीकार या अस्वीकार नहीं कर सकता।

      विबंध के प्रकार- 

(1) आचरण द्वारा विबंध

(2) विलेख द्वारा निबंध

(3) अभिलेख या निर्णय द्वारा भी विबंध

               

(1) आचरण द्वारा विबंध- जब कोई व्यक्ति शब्दों या आचरण द्वारा दूसरे व्यक्ति को आशयपूर्वक  दुर्व्यपदेशन  करता है। एवं किसी तथ्य की सत्यता का विश्वास दिलाता है और दूसरा व्यक्ति ऐसे दुर्व्यपदेशन  पर विश्वास कर सत्य मान लेता है और उसे पर कार्य करता है तो व्यपदेशन करने वाले व्यक्ति को उसे वाद या कार्यवाही में उसे तथ्य से इनकार करने से रोका जाता है। 

(2) विलेख द्वारा विबंध- जब कोई मुद्रांकित विलेख पर पवित्र वचन देता है तो वचन देने वाले व्यक्ति को उसे विलेख के तथ्यों के विपरीत कहने से रोक दिया जाएगा। इसलिए लाडॅ मेन्सफील्ड ने कहा कि किसी व्यक्ति को पवित्र विलेख में कही गई बातों से मुकरने नहीं दिया जाएगा।

(3) अभिलेख या निर्णय द्वारा विबंध- अभिलेख द्वारा अभिलेख न्यायालय के निर्णय से संबंधित होता है जब किसी सक्षम न्यायालय के निर्णय द्वारा मुकदमे का निपटारा कर दिया जाता है तो उसे मुकदमे को मुकदमे के पक्षकारों द्वारा पुनः प्रारंभ करने से रोक दिया जाता है।

    इस प्रकार विबंध की व्याख्या सीपीसी की धारा 11 से 14 एवं साक्ष्य अधिनियम के धारा 40 से 44 तक में की गई है।

  शरद चंद्र डे बनाम गोपाल चंद्र लाहा का वाद- आचरण द्वारा व्यपदेशन का उदाहरण है।

श्री कृष्णा बनाम कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी का वाद- शिक्षण संस्थानों के विरुद्ध विबंध से संबंधित है।

          विबंध के अपवाद-

(1) सिद्धांत का अनुप्रयोग जब सत्यता दोनों पक्षकारों  को मालूम है।

(2) विधि के प्रश्न पर विबंध उत्पन्न नहीं हो सकता।

(3) कानून के विरुद्ध विबंद नहीं हो सकता।

            विबंध से संबंधित प्रश्न-

(1) विबंध के सिद्धांत की विवेचना कीजिए।

(2) विबंध के विभिन्न प्रकार समझाइए।

(3) क्या मौन रहना  विबंध है ।

(4) क्या संप्रभु कार्यों के खिलाफ कोई भी विबंध नहीं हो सकता है। 

(5) इस बात की विवेचना कीजिए कि विबंध के नियम मौलिक विधि के स्थान पर साक्ष्य के नियम है। https://urlwwwvidiksangyan.blogspot.com/2023/11











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