Q. भारतीय न्याय संहिता, 2023- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - (1) कूटकरण (2) न्यायालय (3) दस्तावेज (4) संश्रय (5) अवैध और करने के लिए वैध रूप से आवद्ध
Q. 1 निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये -
(1) कूटकरण
(2) न्यायालय
(3) दस्तावेज
(4) संश्रय
(5) अवैध और करने के लिए वैध रूप से आवद्ध
Ans-
(1) कूटकरण (Counterfeit)-
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 2(4) में कूटकरण को परिभाषित किया गया है -
कूटकरण -
कोई व्यक्ति, जो एक चीज को दूसरी चीज के सदृश इस आशय से करता है कि वह उस सदृश से प्रवंचना करे, या यह संभाव्य जानते हुए करता है कि उसके द्वारा प्रवंचना की जाएगी, वह "कूटकरण" करता है, यह कहा जाता है;
स्पष्टीकरण 1-
कूटकरण के लिए यह आवश्यक नहीं है कि नकल ठीक वैसी ही हो।
स्पष्टीकरण 2 -
जब कोई व्यक्ति एक चीज को दूसरी चीज के सदृश कर दे और सादृश्य ऐसा है कि उसके द्वारा किसी व्यक्ति को प्रवंचना हो सकती है, तो जब तक कि प्रतिकूल साबित न किया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि जो व्यक्ति एक चीज को दूसरी चीज के इस प्रकार सदृश बनाता है उसका आशय उस सदृश द्वारा प्रवंचना करने का था या वह यह सम्भाव्य जानता था कि उसके द्वारा प्रवंचना की जाएगी।
कूटकरण के अन्तर्गत जो व्यक्ति एक चीज को दूसरी चीज के सदृश इस आशय से करता है कि वह उस सादृश्य में धोखा कारित करे, या यह सम्भाव्य जानते हुए करता है कि तदद्वारा धोखा कारित किया जायेगा, कूटकरण करता है यह कहा जाता है।
कूटकरण के लिए यह आवश्यक नहीं कि नकल ठीक वैसी ही हो।
कूटकरण के लिए धोखा कारित करने वाली चीज की सादृश्यता मात्र पर्याप्त मानी गई है। जहां ऐसी सादृश्यता का अभाव हो, वहां उसे कूटकरण नहीं कह सकते।
के. हासिम बनाम स्टेट ऑफ तमिलनाडु 2009 के वाद में अभिनिर्धारित किया गया कि कूटकरण के लिए नकल का ठीक वैसा ही होना आवश्यक नहीं है।
(2) न्यायालय (Court) -
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा (5) में न्यायालय
को परिभाषित किया गया है-
न्यायालय- से वह न्यायाधीश, जिसे न्यायिकतः कार्य करने के लिए विधि द्वारा अकेले ही सशक्त किया गया है, या कोई न्यायाधीश-निकाय, जिसे एक निकाय के रूप में न्यायिकतः कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया है, जबकि ऐसा न्यायाधीश या न्यायाधीश-निकाय न्यायिकतः कार्य कर रहा है, अभिप्रेत है;
अतः न्यायालय से अभिप्राय न्यायाधीशों के ऐसे न्यायालय से है, जो -
(1) न्यायिक कार्य के लिए सशक्त किये गये हैं।, अथवा
(2) न्यायिक कार्य करते हों।
लार्ड कोक के अनुसार-
न्यायालय एक ऐसा स्थान है जहां न्याय की न्यायिकत: पूर्ति की जाती है। इस शब्द की व्युत्पर्ति "a cura quia in curis publicis curas gerebant" नामक आग्ल सूत्र से हुई है।
उ. प्र. पंचायत राज अधिनियम के अन्तर्गत मामलों का विनिश्चय करने वाला सरपंच एवं ऐसी पंचायत न्यायालय का सदस्य भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 2(5) के अर्थों में न्यायाधीश है।
(3) दस्तावेज (Document)-
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 2(8) में दस्तावेज को परिभाषित किया गया है-
दस्तावेज से कोई ऐसा विषय अभिप्रेत है, जिसको किसी पदार्थ पर अक्षरों, अंकों या चिह्नों के साधनों द्वारा, या उनसे एक से अधिक साधनों द्वारा अभिव्यक्त या वर्णित किया गया है. और इसके आन्तर्गत ऐसे इलैक्ट्रॉनिक और डिजिटल अभिलेख भी हैं, जो उस विषय के साक्ष्य के रूप में उपयोग किए जाने के लिए आशयित हैं या जिनका उपयोग किया जा सकेगा;
स्पष्टीकरणा 1-
यह तत्वहीन है कि किस साधन द्वारा या किस पदार्थ पर अक्षर, अंक या चिहन बनाए गए हैं, या यह कि साक्ष्य किसी न्यायालय के लिए अशयित है या नहीं, या उसमें उपयोग किया जा सकेगा या नहीं।
दृष्टान्त
(क) किसी संविदा के निबन्धनों को अभिव्यक्त करने वाला कोई लेख, जिसे उस संविदा के साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सकेगा, दस्तावेज है।
(ख) बैंककार पर दिया गया चेक, दस्तावेज है।
(ग) मुख्तारनामा, दस्तावेज है।
(घ) मानचित्र या रेखांक, जिसको साक्ष्य के रूप में उपयोग में लाने का आशय हो या जो उपयोग में लाया जा सकेगा, दस्तावेज है;
(ङ) जिस लेख में निर्देश या अनुदेश अन्तर्विष्ट हों, दस्तावेज है।
स्पष्टीकरण 2-
अक्षरों, अंकों या चिह्नों के द्वारा, जो कुछ भी वाणिज्यिक या अन्य प्रथा के अनुसार व्याख्या करने पर अभिव्यक्त होता है, वह इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत ऐसे अक्षरों, अंकों या चिह्नों से अभिव्यक्त हुआ समझा जाएगा, चाहे वह वास्तव में अभिव्यक्त न भी किया गया हो।
दृष्टान्त
क एक विनिमयपत्र की पीठ पर, अपना नाम लिख देता है, जो उसके आदेश के अनुसार देय है। वाणिज्यिक प्रथा के अनुसार व्याख्या करने पर इस पृष्ठांकन का अर्थ यह है कि धारक को विनिमयपत्र का भुगतान कर दिया जाए। पृष्ठांकन एक दस्तावेज है और इसका अर्थ उसी प्रकार से लगाया जाएगा मानो हस्ताक्षर के ऊपर "धारक को भुगतान करें" शब्द या उस प्रभाव वाले शब्द लिख दिए गए हों।
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