विदेशी निर्णय की निश्चयात्मकता धारा 13,14 सीपीसी

 

विदेशी निर्णय की निश्चयात्मकता →


सि० प्र० सं० की धारा 13 तथा 14 के अन्तर्गत विदेशी निर्णय की निश्चायत्मकता के बारे में तथा भारत में इसकी प्रवर्तनीयता के बारे में प्राविधानित किया गया है।

'विदेशी निर्णय 'शब्द धारा 2(6) के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है, जिसका अभिप्राय विदेशी न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय से होता है, तथा धारा 2(5) के अनुसार, विदेशी न्यायालय का अभिप्राय ऐसे न्यायालय से होता हैं, जो भारत के बाहर अवस्थित है, जो न ही भारत सरकार द्वारा उसका संचालन किया जा रहा है।

विदेशी निर्णय का बाध्यकारी होना अथवा विदेशी निर्णय के बारे में वैधता की उपधारणा-

वर्तमान समय में इसे एक नियम के रूप में स्वीकार कर लिया गया है कि विदेशी विधियों को भी सम्मान दिया जाना चाहिये।

सत्या बनाम तेजासिंह के मामले में उच्चतम न्यायालय  ने यह अभिनिर्धारित किया कि आधुनिक समय में विदेशी निर्णयों को प्रवर्तित कराया जाना केवल दया या सौजन्यता वश नहीं है, बाल्क इसे न्याय, साम्या एवं अंतःकरण के लिये स्वीकारा जाता है।

अतः विदेशी निर्णयों को प्रवर्तनीयता के सन्दर्भ में वही महत्व दिया जाता है जो भारतीय निर्णयों को दिया जाता है। अतः विदेशी निणयों को प्राडन्याय के रूप में माना जाता है तथा सक्षम न्यायालय द्वारा प्रवर्तित कराया जा सकता है। ऐसा निर्णय प्राङ्गन्याय के रूप में तभी माना जा सकेगा जब यह वैध निर्णय माना जाये। तथा धारा-13 वैध निर्णय की शर्त को उल्लेखित करती है।

धारा 14 के अनुसार यदि विदेशी निर्णय की प्रमाणिक प्रति प्रस्तुत की जाती है तो इसे वैध निर्णय उपधारित किया जा सकेगा, परन्तु जब यह धारा 13 के अन्तर्गत वाछिंत अपेक्षाओं को पूरा करता है।

शर्तें या दशाएं -

धारा-13 उन शर्तों या दशाओं के बारे में प्राविधानित करती है जो यदि पूरी हो तो विदेशी निर्णय को बाध्यकारी और निश्चयात्मक माना जायेगा, अन्यथा नहीं। ये शर्ते निम्नलिखित है-

1) यह सक्षम क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय द्वारा दिया लिया गया हो।

2) इसे मामले के गुणावगुण के आधार पर दिया गया हो।

3) यह अन्तर्राष्ट्रीय विधि अथवा भारतीय विधि के सिद्धान्तों के विपरीत न दिया गया हो।

4) प्राकृतिक विधि के सिद्धान्तों का पालन करते हुये इसे दिया गया हो ।

5) इसे कपट द्वारा प्राप्त न किया गया हो।

6) यह भारतीय विधि के उल्लंघन पर आधारित न हो ।

इसके प्रर्वतन का ढंग - 

यदि विदेशी निर्णय वैध निर्णय है तथा इसकी निश्चयात्मकता हेतु प्राविधानित शर्तों को पूरा करता है तो यह निम्नलिखित प्रकार से प्रवर्तित कराया जा सकेगा।

1) इसे प्रवर्तन हेतू वाद संस्थित करके प्रवर्तित कराया जा सकेगा। 

2) इसे निष्पादन हेतु कार्यवाही करके प्रवर्तित कराया जा सकेगा।






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