न्यायिक अवेक्षा

 न्यायिक अवेक्षा-



साक्ष्य अधिनियम की धारा 57 में उन तथ्यों का उल्लेख किया गया है  जिनकी न्यायिक अवेक्षा न्यायालय को करनी होगी-

(1) भारत में प्रवृत समस्त विधियां, 

(2) यूनाइटेड किंगडम की पार्लियामेंट द्वारा पारित किए गए समस्त पब्लिक ऐक्ट वे  समस्त स्थानीय और पर्सनल एक्ट, 

(3) भारतीय सेना, नौसेना या वायुसेना के लिए युद्ध की नियमावली,

(4) यूनाइटेड किंगडम की पार्लियामेंट की, भारत की संविधान सभा की, संसद की तथा किसी प्रांत या राज्यों में स्थापित विधानमंडल की कार्यवाही का अनुक्रम,

(5)ग्रेट ब्रिटेन आयरलैंड की यूनाइटेड किंगडम के  तत्समय प्रभु का राज्यारोहण और राज हस्ताक्षर

(6) वे सब मुद्राएं, जिनकी अंग्रेजी न्यायालय अवेक्षा करते हैं, भारत में के सब न्यायालयों की और से केंद्रीय सरकार या क्राउन रिप्रेजेंटेटिव के प्राधिकार द्वारा भारत के बाहर स्थापित सब न्यायालयों की मुद्राएं, नावाधिकरण और समुद्री अधिकारिता वाले न्यायालयों की और नोटरीज पब्लिक की मुद्राएं,

(7) किसी राज्य में लोकपद में आरूढ़ व्यक्तियों के कोई पदरोहण, नाम, उपाधियां, कृत्य और हस्ताक्षर, यदि ऐसे पद पर किसी नियुक्ति का तथ्य किसी शासकीय राजपात्र में अधिसूचित किया गया हो,

(8) भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हर राज्य या संप्रभु का अस्तित्व, उपाधि और राष्ट्रीय ध्वज, 

(9)समय के प्रभाग,  पृथ्वी के भौगोलिक प्रभाग तथा  शासकीय राजपत्र में अधिसूचित लोक उत्सव, उपवास और अवकाश दिन,

(10) भारत सरकार के अधिपत्य के अधीन राज्य क्षेत्र,

(11) भारत सरकार और अन्य राज्य या व्यक्तियों के निकाय के बीच संघर्ष का प्रारंभ, चालू रहना और पर्यवसान,

(12) न्यायालय के सदस्यों, ऑफीसरों के तथा उनके अधीनस्थ ऑफीसरों और सहायकों के और उनके आदेशकाओं के निष्पादन में कार्य करने वाले सब आफिसरों के भी तथा सब अधिवक्ताओं, अटॉर्नियों, प्रोक्टरों,  वकीलों, प्लाडरों और उनके समक्ष उपसंजात होने या कार्य करने के लिए किसी विधि द्वारा प्राधिकृत अन्य व्यक्तियों के नाम,

(13) भूमि या समुद्र पर मार्ग का नियम,

     इन सभी मामलों में तथा लोक इतिहास, साहित्य, विज्ञान या कला के सब विषयों में भी न्यायालय समुपयुक्त निर्देश, पुस्तकों या दस्तावेजों की सहायता ले सकेगा। यदि न्यायालय से किसी तथ्य की न्यायिक अवेक्षा करने की किसी व्यक्ति द्वारा प्रार्थना की जाती है तो जब तक वह व्यक्ति ऐसी पुस्तक या दस्तावेज पेश न कर दे, जिसे न्यायालय आवश्यक समझता है ऐसा करने से इनकार कर सकेगा।









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