दीवानी न्यायालयों की अधीनस्थता (सीपीसी धारा-3)
दीवानी न्यायालयों की अधीनस्थता -
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 3 में दीवानी न्यायालयों की अधीनस्थता के संबंध में प्रावधान किया गया है-
न्यायालयों की अधीनस्थता (धारा 3)- इस संहिता के प्रयोजनों के लिए जिला न्यायालय उच्च न्यायालय के अधीनस्थ है और जिला न्यायालय से अवर श्रेणी का हर सिविल न्यायालय और हर लघुवाद न्यायालय उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय के अधीनस्थ है।
भारत में न्यायालय का निम्नलिखित अधिक्रम है-
(1) उच्चतम न्यायालय-
उच्चतम न्यायालय भारत में सर्वोच्च न्यायालय है तथा उसकी क्षेत्रीय अधिकारिता पूरे भारतवर्ष पर है। कुछ मामलों को छोड़कर उच्चतम न्यायालय एक अपीलीय न्यायालय है। दीवानी मामलों में अपील संविधान के अनुच्छेद 132 या 133 के अधीन उच्चतम न्यायालय को की जाती है।
(2) उच्च न्यायालय-
सामान्यतः प्रत्येक राज्यक्षेत्र में एक उच्च न्यायालय है जिसकी अधिकारिता पुरे राज्यक्षेत्र पर होती है, जिसमें वह स्थित है। उसके कुछ अपवाद भी हैं, जैसे पंजाब और हरियाणा के लिये एक ही उच्च न्यायालय है जिसकी अधिकारिता दोनों राज्यों के क्षेत्र पर है। उच्च न्यायालयों को भी सामान्यतः अपीलीय क्षेत्राधिकार प्राप्त है परन्तु प्रेसीडेन्सी नगरों में स्थित उच्च न्यायालयों को प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार भी प्राप्त है।
(3) जिला न्यायालय-
सामान्यतः प्रत्येक जिले में एक जिला न्यायालय होता है जिसका पीठासीन अधिकारी जिला न्यायाधीश होता है। उसकी क्षेत्रीय अधिकारिता पूरे जिले पर होती है। उस न्यायालय को प्रारंभिक और अपीलीय दोनों प्रकार का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। जिला न्यायालय के अन्तर्गत विभिन्न श्रेणी के दीवानी न्यायालय होते हैं। उत्तर प्रदेश में जिला न्यायालय के अन्तर्गत सिविल जज और मुन्सिफ के न्यायालय होते हैं। जिन्हें अब सिविल जज जूनियर डिविजन कहा जाता है।
(4) लघुवाद न्यायालय-
दीवानी के छोटे-छोटे मामलों के निर्णय हेतु लघुवाद न्यायालय होते हैं तथा उनका क्षेत्राधिकार प्रारम्भिक होता है।जिला न्यायालय उच्च न्यायालय के अधीन है तथा जिला स्तर पर प्रत्येक दूसरे दीवानी न्यायालय, जिला न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के अधीन होते हैं।
उदाहरणस्वरूप-
उत्तर प्रदेश में जिला स्तर पर सिविल जज, मुन्सिफ एवं लघुवाद न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के अधीनस्थ है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश में जिला स्तर पर अतिरिक्त जिला, सिविल जज, प्रथम श्रेणी, सिविल जज, द्वितीय श्रेणी, जिला न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के अधीनस्थ है। जिला-स्तर पर जिला न्यायालय का पीठासीन अधिकारी जिला न्यायाधीश होता है। जब वह दीवानी सम्बन्धी मामलों की सुनवाई करता है, जिला जज कहा जाता है, परन्तु जब वह न्यायाधीश आपराधिक मामलों की सुनवाई करता है तो उसे सत्र न्यायाधीश कहा जाता है। इसी प्रकार जब मुन्सिफ दीवानी मामलों की सुनवाई करता है तो उसे मात्र मुन्सिफ कहते हैं। परन्तु जब मुन्सिफ आपराधिक मामलों की सुनवाई करता है उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट कहा जाता है।
प्रश्न- दीवानी न्यायालयों की अधिनस्थता से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट कीजिए।
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें