किन आदेशों की अपील हो सकती है-
सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 104 एवं आदेश 43 में आदेशों से अपील के संबंध में प्रावधान किया गया है।
धारा-104 वे आदेश जिनकी अपील होगी- (1) निम्नलिखित आदेश की अपील होगी-खण्ड क से च तक निरस्त
(च च) धारा 35 'क' के अधीन आदेश
(च च क) धारा 91 या 92 के अधीन, यथास्थिति, धारा 91 या 92 में निर्दिष्ट प्रकृति के वाद को संस्थित करने के लिये इजाजत देने से इन्कार करने वाला आदेश
(च) धारा 95 के अधीनस्थ आदेश
(ज) इस संहिता के उपबन्धों में से किसी के भी अधीन ऐसा आदेश, जो जुर्माना अधिरोपित करता है या किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी या सिविल कारागार में निरोध निर्दिष्ट करता है, वहां के सिवाय जहां कि ऐसी गिरफ्तारी या निरोध किसी डिक्री के निष्पादन में है,
(झ) नियमों के अधीन किया गया कोई आदेश जिसकी अपील नियमों द्वारा अभिव्यक्त रूप से अनुज्ञात है,
और इस संहिता के पाठ में या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा अभिव्यक्त रूप से अन्यथा उपबन्धित के सिवाय किन्हीं भी अन्य आदेशों की अपील नहीं होगी।
परन्तु,
खण्ड (चच) में विनिर्दिष्ट किसी भी आदेश की कोई भी अपील केवल इस आधार पर ही होगी कि कोई आदेश किया ही नहीं जाना चाहिए था या आदेश कम रकम के सन्दाय के लिये किया जाना चाहिए था।
(2) इस धारा के अधीन अपील में पारित किसी भी आदेश की कोई भी अपील नहीं होगी।
धारा 105 अन्य आदेश (1) अभिव्यक्त रूप से अन्यथा उपबन्धित के सिवाय, किसी न्यायालय द्वारा अपनी आरम्भिक या अपीलीय अधिकारिता के प्रयोग में किये गये किसी भी आदेश की कोई भी अपील नहीं होगी, किन्तु जहाँ डिक्री की अपील की जाती है वहां किसी भी आदेश में की गयी ऐसी गलती त्रुटि या अनियमितता, जिससे मामले के विनिश्चय पर प्रभाव पड़ता है, अपील ज्ञापन में आक्षेप के आधार के रूप में उपवर्णित की जा सकेगी।
(2) उपधारा (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी जहां प्रतिप्रेषण के ऐसे आदेश से, जिसकी अपील होती है, व्यथित कोई पक्षकार अपील नहीं करता है वहां वह उसके पश्चात् उसकी शुद्धता पर विवाद करने से प्रवारित रहेगा।
बदा अरन एसबेस्टेस बनाम गुजरात वाटर सप्लाई 2009 सु. को. के वाद में, जहां अधीनस्थ न्यायालय ने संक्षिप्त प्रक्रिया में प्रतिवादी के विरुद्ध शर्तयुक्त बचाव का आदेश दिया था तथा शर्त की पूर्ति न करने पर डिक्री दे दी गई। इस डिक्री की अपील के दौरान शर्तयुक्त बचाव के आदेश के विरुद्ध अपील नहीं की जा सकती, परन्तु इसका पुनरीक्षण किया जा सकता है।
आदेश 43 के अन्तर्गत आदेशों की अपील-
धारा 104 में उपरोक्त प्रावधानों के अधीन रहते हुए आदेश 43 में निम्नलिखित आदेशों की अपील होगी-
(क) वादपत्र के उचित न्यायालय में उपस्थित किये जाने के लिये लौटाने का आदेश, जो आदेश 7 के नियम 10 के अधीन दिया गया हो, सिवाय उस दशा में जब आदेश 7 के नियम 10 के अधीन दिया गया हो, सिवाय उस दशा में जब आदेश 7 के नियम 10 'क' में विनिर्दिष्ट प्रक्रिया का अनुसरण किया गया हो,
(ग) वाद की खारिजी को अपास्त करने के आदेश के लिये (ऐसे मामले में जिसमें अपील होती है) आवेदन को नामंजूर करने का आदेश 9 के नियम 9 के अधीन दिया गया हो,
(घ) एकपक्षीय पारित डिक्री को अपास्त करने के आदेश के लिये (ऐसे मामले में जिसमें अपील होती है) आवेदन के नामंजूर करने का आदेश 9 के नियम 13 के अधीन दिया गया हो,
(च) आदेश 11 के नियम 21 के अधीन आदेश
(झ) दस्तावेज के पृष्ठांकन के प्रारूप पर किये गये आक्षेप पर आदेश, जो आदेश 21 के नियम 34 के अधीन दिया गया हो,
(ञ) विक्रय को अपास्त करने या अपास्त करने से इन्कार करने का आदेश, जो आदेश 21 के नियम 72 या नियम 92 के अधीन दिया गया हो,
(ञ क) आवेदन को नामंजूर करने का आदेश, जो आदेश 21 के नियम 106 के उपनियम (1) के अधीन किया गया हो परन्तु मूल आवेदन पर अर्थात् उस आदेश के नियम 105 के उपनियम (1) में निर्दिष्ट आवेदन पर आदेश अपीलीय है,
(ट) वाद के उपशमन या खारिजी को अपास्त करने से इन्कार करने का आदेश जो आदेश 22 के नियम 9 के अधीन दिया गया हो,
(ठ) इजाजत देने का या इजाजत देने से इन्कार करने का आदेश जो आदेश 22 के नियम 10 के अधीन दिया गया हो,
(ढ) वाद की खारिजी को अपास्त करने के आदेश के लिये (ऐसे मामले में जिसमें अपील होती है) आवेदन को नामंजूर करने का आदेश, जो आदेश 25 के नियम 2 के अधीन दिया गया हो,
(ढ क) निर्धन व्यक्ति के रूप में वाद लाने की अनुज्ञा के लिये आवेदन को नामंजूर करने का आदेश, जो आदेश 33 के नियम 5 या 7 के अधीन दिया गया हो,
(त) अन्तराभिवाची वादों में आदेश, जो आदेश 35 के नियम 3, नियम 4 या नियम 6 के अधीन दिया गया हो,
(थ) आदेश 38 के नियम 2, नियम 3 या नियम 6 के अधीन आदेश,
(द) आदेश 39 के नियम 1, नियम 2 (नियम 2-'क') नियम 4 या नियम 10 के अधीन आदेश,
(घ) आदेश 40 के नियम 1 या नियम 4 के अधीन आदेश,
(न) अपील को आदेश 41 के नियम 19 के अधीन पुनर्ग्रहण करने या आदेश 41 के नियम 21 के अधीन पुनः सुनने से इंकार करने का आदेश
(प) जहां अपील न्यायालय की डिक्री की अपील होती है वहां मामले को प्रतिप्रेषित करने का आदेश, जो आदेश 41 के नियम 23 या 23-'क' के अधीन दिया गया हो,
(फ) पुनर्विलोकन के लिये आवेदन मंजूर करने का आदेश, जो आदेश 47 के नियम 4 के अधीन दिया गया हो।
जहां एक अपील आदेश 43 नियम 1 के अधीन एक अन्तरिम आदेश (आदेश 39, नियम 1) के विरुद्ध की गयी है, वहां इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राम सिंह बनाम स्पेशल जज (इ. सी. एक्ट) ए. आई. आर. 1993 इला. नामक वाद में यह अभिनिर्धारित किया कि अपीलीय न्यायालय की शक्तियां उतनी ही विस्तृत है जितनी कि विचारण न्यायालय की।
मुहम्मद सऊद बनाम डॉ. (मेजर) शेष महफूज, ए. आई. आर. 2009 उड़ीसा फु. बें. के वाद में जहां आदेश 43 नियम 1 के अंतर्गत दाखिल किसी मामले में विनिश्चय करते हुए आदेश पारित किया गया है वहां ऐसे आदेश की व्याख्या निर्णय या डिक्री के रूप में की जानी चाहिए, जिसे लेटर्स पेटेण्ट अपील में चुनौती नहीं दी जा सकती या उस पर प्रहार नहीं किया जा सकता।
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