कुर्की के पश्चात् सम्पत्ति के प्राइवेट अन्य संक्रामण का शून्य होना (धारा 64) -

 कुर्की के पश्चात् सम्पत्ति के प्राइवेट अन्य संक्रामण का शून्य होना (धारा 64) -


 सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा-64 के अनुसार, जहां कुर्की की जा चुकी है वहां कुर्की की गई सम्पत्ति या उसमें के किसी हित का ऐसी कुकीं के प्रतिकूल प्राइवेट अन्तरण या परिदान और किसी ऋण, लाभांश या अन्य धन का ऐसी कुर्की के प्रतिकूल निर्णीत-ऋणी को संदाय कुर्की के अधीन प्रवर्तनीय सभी दावों के मुकाबले में शून्य होगा।

स्पष्टीकरण-

इस धारा के प्रयोजनों के लिये, कुर्की के अधीन प्रवर्तनीय सभी दावों के अन्तर्गत आस्तियों के आनुपातिक वितरण के दावे भी हैं।

बी. नानाराव बनाम अरुनाचलम, 1940 मद्रास के वाद में कहा गया कि किसी डिक्री निष्पादन में अगर किसी सम्पत्ति की कुर्की कर दी गयी है तो कुर्की के पश्चात् ऐसी सम्पत्ति का प्राइवेट अन्तरण या उसमें के हित का अन्तरण शून्य होगा। ऐसा उपबन्ध इसलिए किया गया है कि डिक्रीधारी के साथ किये जाने वाले धोखे को रोका जा सके और कुर्क कराने वाले ऋणदाता के अधिकार को सुरक्षित किया जा सके।

सर्वोच्च न्यायालय ने एस. जी. फिल्म्स एक्सचेंज लि. बनाम बृजनाथ सिंह जी 1975 नामक वाद में अपने निर्णय के माध्यम से कहा कि व्यवहार प्रक्रिया संहिता की धारा 64 वास्तव में एक प्रकार से, इस धारा की परिस्थितियों के अनुसार विचाराधीन वाद के सिद्धान्त को लागू करती है।

कुर्की का प्रभाव-

अक्षय कुमार बनाम विनोद कुमार, 1968 के वाद में कहा गया कि कुर्की का प्रभाव यह होता है कि उस सम्पत्ति के प्राइवेट अन्तरण को रोक दिया जाता है। कुर्की हो जाने से कुर्क की गई सम्पत्ति में डिक्रीधारी को कोई स्वत्व, धारणाधिकार या पूर्विकता या अग्रता नहीं प्राप्त होती है।



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