स्थावर (अचल) सम्पत्ति के विक्रय (आदेश 21 के नियम 82 से 88)-

 स्थावर (अचल) सम्पत्ति के विक्रय (आदेश 21 के नियम 82 से 88)-

सिविल  प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत अचल सम्पत्ति के विक्रय के सम्बन्ध में कुछ विशिष्ट उपबंध आदेश 21 के नियम 82 से 88 तक में किये गये हैं, जो निम्नवत हैं-


 नियम 82 कौन से न्यायालय विक्रयों के लिये आदेश कर सकेंगे-

डिक्रियों का निष्पादन करने में स्थावर सम्पत्ति के विक्रयों के लिये आदेश लघुवाद न्यायालय से भिन्न किसी भी न्यायालय द्वारा किया जा सकेगा।

नियम 83 विक्रय का इसलिये मुल्तवी किया जाना कि निर्णीत-ऋणी की रकम जुटा सके-

जहां स्थावर सम्पत्ति के विक्रय के लिये आदेश किया जा चुका है। वहां यदि निर्णीत ऋणी न्यायालय का समाधान कर सके कि यह विश्वास करने के लिये कारण है कि डिक्री का धन ऐसी सम्पत्ति या उसके किसी भाग के या निर्णीत ऋणी की किसी अन्य स्थावर सम्पत्ति के, बन्धक या पट्टे या प्राइवेट विक्रय द्वारा जुटाया जा सकता है तो उसके आवेदन पर न्यायालय विक्रय के आदेश में समाविष्ट सम्पत्ति के विक्रय को ऐसे निबन्धनों पर और ऐसी अवधि के लिये जो वह उचित समझे, इसलिए मुल्तवी कर सकेगा कि उस रकम को जुटाने में वह समर्थ हो जाये।

नियम 84 क्रेता द्वारा निक्षेप उसके व्यतिक्रम पर पुनर्विक्रय- 

स्थावर सम्पत्ति के हर विक्रय पर वह व्यक्ति जिसका क्रेता होना घोषित किया गया है, अपने क्रय धन की रकम के 25 प्रतिशत का निक्षेप विक्रय का संचालन करने वाले अधिकारी या अन्य व्यक्ति को ऐसी घोषणा के तुरंत पश्चात् देगा और ऐसे निक्षेप में व्यतिक्रम होने पर उस सम्पत्ति का तत्क्षण ही पुनः विक्रय किया जायेगा।

नियम 85 क्रय धन से पूरे संदाय के लिये समय-

 क्रय धन की संदेय पूरी रकम को क्रेता इसके पूर्व कि सम्पत्ति के विक्रय से पन्द्रहवें दिन न्यायालय बन्द हो, न्यायालय में जमा कर देगा-

परन्तु,

न्यायालय में ऐसे जमा की जाने वाली रकम की गणना करने से क्रेता किसी भी ऐसी मुजरा का फायदा उठा सकेगा, जिसका वह नियम 72 के अधीन हकदार हो।

नियम 86 संदाय में व्यतिक्रम होने की प्रक्रिया-

अन्तिम पूर्ववर्ती नियम में वर्णित अवधि के भीतर संदाय करने में व्यतिक्रम होने पर निक्षेप, यदि न्यायालय ठीक समझे तो विक्रय के व्ययों को काटने के पश्चात् सरकार को समपद्धत किया जा सकेगा और सम्पत्ति का फिर से विक्रय किया । जायेगा और उस सम्पत्ति पर या जिस राशि के लिये उसका तत्पश्चात् विक्रय किया जाये उसके किसी भाग पर व्यतिक्रम करने वाले क्रेता के सभी दावे समपहृत हो जायेंगे।

नियम 87 पुनर्विक्रय पर अधिसूचना- 

स्थावर सम्पत्ति का हर पुनर्विक्रय जो क्रय धन का संदाय उस अवधि के भीतर करने में जो ऐसे संदाय के लिये अनुज्ञात है, व्यतिक्रम के कारण होना हो, ऐसी रीति में और ऐसी अवधि के लिये जो विक्रय के लिये इसमें इसके पूर्व विहित की गई है, नई उद्घोषणा निकालने के पश्चात् किया जायेगा।


नियम 88 सह-अंशधारी की बोली को अधिमान प्राप्त होगा- 

जहां विक्रीत सम्पत्ति अविभक्त स्थावर सम्पत्ति का अंश है और दो या अधिक व्यक्ति जिनमें से एक ऐसा सह-अंशधारी है, क्रमशः ऐसी सम्पत्ति या उसके किसी लाट के लिये एक सी ही राशि की बोली लगाते हैं। वहां वह बोली उस सह-अंश धारी की बोली समझी जायेगी।

प्रश्न-
 स्थावर (अचल) सम्पत्ति के विक्रय से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट कीजिए

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