गिरफ्तारी के बाद प्रक्रिया-नागरिक सुरक्षा संहिता 2023


 गिरफ्तारी के बाद प्रक्रिया- नागरिक सुरक्षा संहिता 2023

नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023  की धारा 36, 47, 48, 49, 53, 55, 58, 60 में गिरफ्तारी की प्रक्रिया को बताया गया है जो गिरफ्तारी के समय एवं उसके बाद गिरफ्तार व्यक्ति के कानूनी अधिकार को नियंत्रित करती है।

धारा 36- गिरफ्तारी की प्रक्रिया और गिरफ्तारी करने वाले अधिकारी के कर्तव्य - 

प्रत्येक पुलिस अधिकारी, गिरफ्तारी करते समय, -

(क) अपने नाम की सही, दृश्यमान और स्पष्ट पहचान धारण करेगा, जिससे उसकी आसानी से पहचान हो सके:

(ख) गिरफ्तारी का एक ज्ञापन तैयार करेगा, जो-

(i) कम से कम एक साक्षी द्वारा अनुप्रमाणित किया जाएगा, जो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के कुटुंब का सदस्य है या उस परिक्षेत्र का, जहां गिरफ्तारी की गयी है, प्रतिष्ठित सदस्य है;

(ii) गिरफ्तार किए गए व्यक्ति द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित किया जाएगा; और

(ग) जब तक उसके कुटुंब के किसी सदस्य द्वारा ज्ञापन को अनुप्रमाणित न कर दिया गया हो, गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को यह सूचना देगा कि उसे यह अधिकार है कि उसके किसी नातेदार या मित्र को, जिसका वह नाम दे, उसकी गिरफ्तारी की सूचना दी जाए।

धारा - 47 गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों और जमानत के अधिकार की सूचना दिया जाना - 

(1) किसी व्यक्ति को वारंट के बिना गिरफ्तार करने वाला प्रत्येक पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति उस व्यक्ति को उस अपराध की, जिसके लिए वह गिरफ्तार किया गया है, पूर्ण विशिष्टियां या ऐसी गिरफ्तारी के अन्य आधार तुरन्त संसूचित करेगा।

(2) जहां कोई पुलिस अधिकारी अजमानतीय अपराध के अभियुक्त व्यक्ति से भिन्न किसी व्यक्ति को वारंट के बिना गिरफ्तार करता है वहां वह गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को सूचना देगा कि वह जमानत पर छोड़े जाने का हकदार है और वह अपनी ओर से प्रतिभुओं का इंतजाम करे।

धारा- 48  गिरफ्तारी करने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी, आदि के बारे में नातेदार या मित्र को जानकारी देने की बाध्यता - 

(1) इस संहिता के अधीन कोई गिरफ्तारी करने वाला प्रत्येक पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति, ऐसी गिरफ्तारी और उस स्थान के बारे में, जहाँ गिरफ्तार किया गया व्यक्ति रखा जा रहा है, जानकारी, उसके मित्रों, नातेदारों या ऐसे अन्य व्यक्ति को जिसे गिरफ्तार किए गए व्यक्ति द्वारा ऐसी जानकारी देने के प्रयोजन के लिए प्रकट या नामनिर्दिष्ट को तथा जिले में पदाभिहित पुलिस अधिकारी को भी तुरंत देगा।

(2) पुलिस अधिकारी गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को, जैसे ही वह पुलिस थाने में लाया जाता है, उपधारा (1) के अधीन उसके अधिकारों के बारे में सूचित करेगा।

(3) इस तथ्य की प्रविष्टि कि ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी की सूचना किसे दी गई है, पुलिस थाने में रखी जाने वाली पुस्तक में ऐसे प्ररूप में, जो राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विहित किया जाए, की जाएगी।

(4) उस मजिस्ट्रेट का, जिसके समक्ष ऐसे गिरफ्तार किया गया व्यक्ति, प्रस्तुत किया जाता है, यह कर्तव्य होगा कि वह अपना समाधान करे कि उपधारा (2) और उपधारा (3) की अपेक्षाओं का ऐसे गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के संबंध में अनुपालन किया गया है।

धारा - 49 गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की तलाशी-

 (1) जब कभी, -

(i) पुलिस अधिकारी द्वारा ऐसे वारंट के अधीन, जो जमानत लिए जाने का उपबंध नहीं करता है या ऐसे वारंट के अधीन, जो जमानत लिए जाने का उपबंध करता है किन्तु गिरफ्तार किया गया व्यक्ति जमानत नहीं दे सकता है, कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है; और

(ii) जब कभी कोई व्यक्ति वारंट के बिना या प्राइवेट व्यक्ति द्वारा वारंट के अधीन गिरफ्तार किया जाता है और विधिक रूप से उसकी जमानत नहीं ली जा सकती है या वह जमानत देने में असमर्थ है,

तब गिरफ्तार करने वाला अधिकारी, या जब गिरफ्तारी प्राइवेट व्यक्ति द्वारा की जाती है तब वह पुलिस अधिकारी, जिसे वह व्यक्ति गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को सौंपता है, उस व्यक्ति की तलाशी ले सकता है और पहनने के आवश्यक वस्त्रों को छोड़कर उसके पास पाई गई सब वस्तुओं को सुरक्षित अभिरक्षा में रख सकता है और जहां गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से कोई वस्तु अभिगृहीत की जाती है वहां ऐसे व्यक्ति को एक रसीद दी जाएगी जिसमें पुलिस अधिकारी द्वारा कब्जे में की गई वस्तु दर्शित होंगी।

(2) जब कभी किसी महिला की तलाशी करना आवश्यक हो तब ऐसी तलाशी शिष्टता का पूरा ध्यान रखते हुए अन्य महिला द्वारा की जाएगी।

धारा- 53 गिरफ्तार व्यक्ति की चिकित्सा अधिकारी द्वारा परीक्षा

(1) जब कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है, तब गिरफ्तार किए जाने के तुरन्त पश्चात् उसकी केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार की सेवा के अधीन चिकित्सा अधिकारी द्वारा और जहां चिकित्सा अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं, वहां रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा परीक्षा की जाएगी :

परन्तु यदि चिकित्सा अधिकारी या रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी की यह राय है कि ऐसे व्यक्ति की एक और परीक्षा की जानी आवश्यक है, तो वह ऐसा कर सकेगा :

परन्तु यह और कि जहां गिरफ्तार किया गया व्यक्ति महिला है, वहां उसके शरीर की परीक्षा केवल महिला चिकित्सा अधिकारी और जहां महिला चिकित्सा अधिकारी उपलब्ध नहीं है, वहां रजिस्ट्रीकृत महिला चिकित्सा व्यवसायी द्वारा या उसके पर्यवेक्षण के अधीन की जाएगी।

(2) गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की इस प्रकार परीक्षा करने वाला चिकित्सा अधिकारी या रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी ऐसी परीक्षा का अभिलेख तैयार करेगा जिसमें गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के शरीर पर किन्हीं क्षतियों या हिंसा के चिह्नों तथा अनुमानित समय का वर्णन करेगा जब ऐसी क्षति या चिह्न पहुंचाये गए होंगे।

(3) जहां उपधारा (1) के अधीन परीक्षा की जाती है वहां ऐसी परीक्षा की रिपोर्ट की एक प्रति, यथास्थिति, चिकित्सा अधिकारी या रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्ति या ऐसे गिरफ्तार किए गए व्यक्ति द्वारा नामनिर्दिष्ट व्यक्ति को दी जाएगी।

धारा- 55 जब पुलिस अधिकारी वारंट के बिना गिरफ्तार करने के लिए अपने अधीनस्थ को प्रतिनियुक्त करता है तब प्रक्रिया -

(1) जब अध्याय 13 के अधीन अन्वेषण करता हुआ कोई पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी, या कोई पुलिस अधिकारी, अपने अधीनस्थ किसी अधिकारी से किसी ऐसे व्यक्ति को जो वारंट के बिना विधिपूर्वक गिरफ्तार किया जा सकता है, वारंट के बिना (अपनी उपस्थिति से, अन्यथा) गिरफ्तार करने की अपेक्षा करता है, तब वह उस व्यक्ति का, जिसे गिरफ्तार किया जाना है और उस अपराध का या अन्य कारण का, जिसके लिए गिरफ्तारी की जानी है, विनिर्देश करते हुए लिखित आदेश उस अधिकारी को परिदत्त करेगा जिससे यह अपेक्षा है कि वह गिरफ्तारी करे और इस प्रकार अपेक्षित अधिकारी उस व्यक्ति को, जिसे गिरफ्तार करना है, उस आदेश का सार गिरफ्तारी करने के पूर्व सूचित करेगा और यदि वह व्यक्ति अपेक्षा करे तो उसे वह आदेश दिखा देगा।

(2) उपधारा (1) की कोई बात किसी पुलिस अधिकारी की धारा 35 के अधीन किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी।

धारा- 58 गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का चौबीस घंटे से अधिक निरुद्ध न किया जाना - 
कोई पुलिस अधिकारी वारंट के बिना गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को उससे अधिक अवधि के लिए अभिरक्षा में निरुद्ध नहीं रखेगा जो उस मामले की सब परिस्थितियों में उचित है तथा ऐसी अवधि, मजिस्ट्रेट के धारा 187 के अधीन विशेष आदेश के अभाव में गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट के न्यायालय तक यात्रा के लिए आवश्यक समय को छोड़कर, चौबीस घंटे से अधिक की नहीं होगी, चाहे उसकी अधिकारिता है या नहीं।

धारा- 60 पकड़े गए व्यक्ति का उन्मोचन - 

पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ्तार किए गए किसी व्यक्ति का उन्मोचन उसी के बंधपत्र या जमानतपत्र पर या मजिस्ट्रेट के विशेष आदेश के अधीन ही किया जाएगा, अन्यथा नहीं।

विन्देश्वरी महतो बनाम स्टेट 1973 पटना लॉ. ज. रि.  के वाद में कहा गया कि यदि गिरफ्तारी के बाद गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को आंतरिक आदेश की सूचना न दी जाकर केवल उसके सार से ही अवगत कराया जाता है, तो ऐसी अभिकथित धारणा के अन्तर्गत की गयी गिरफ्तारी अवैध नहीं होगी।

रमन राय बनाम सम्राट ए. आई. आर. 1942 इलाहाबाद के बाद में अभिनिर्धारित किया गया कि तलाशी केवल गिरफ्तारी के बाद ही ली जा सकती है, चाहे ऐसी गिरफ्तारी वारंट के अन्तर्गत की गई हो या वारंट के बिना।


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.