बलात्संग के अपराधी व्यक्ति की चिकित्सा व्यवसायी द्वारा परीक्षा -
बलात्संग के अपराधी व्यक्ति की चिकित्सा व्यवसायी द्वारा परीक्षा -दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 53 'क' इस संबंध में आवश्यक उपबंध करती है
धारा 53 'क' के अनुसार, (1) जब किसी व्यक्ति को बलात्संग या बलात्संग का प्रयत्न करते का अपराध करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है और इस व्यक्ति की परीक्षा से ऐसा साक्ष्य प्राप्त होगा तो सरकार द्वारा या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा चलाये जा रहे अस्पताल में नियोजित किसी रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा या अपराध के स्थान से सोलह किलोमीटर की परिधि के भीतर ऐसे चिकित्सा व्यवसायी की अनुपस्थिति में उपनिरीक्षक से अनिम्न रैंक के पुलिस अधिकारी के निवेदन पर किसी अन्य रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी के लिये, ऐसे गिरफ्तार व्यक्ति की परीक्षा करना विधिपूर्ण होगा।
(2) ऐसी परीक्षा करने वाला रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी ऐसे व्यक्ति की बिना विलम्ब के परीक्षा करेगा और उसकी परीक्षा की एक रिपोर्ट तैयार करेगा जिसमें निम्नलिखित विशिष्टियां है जाएंगी अर्थात् -
(1) अभियुक्त का नाम और पता;
(2) अभियुक्त की आयुः
(3) अभियुक्त के शरीर पर उपहति का चिन्ह,(4) डी. एन. ए. प्रोफाइल करने के लिये अभियुक्त के शरीर से ली गई सामग्री का वर्णन
(5) उचित ब्यौरे सहित, अन्य तात्विक विशिष्टियाँ।
(3) रिपोर्ट में संक्षेप में वे कारण अभिकथित किये जायेंगे जिनसे प्रत्येक निष्कर्ष निकाला गया है।
(4) परीक्षा प्रारम्भ और समाप्ति का सही समय भी रिपोर्ट में अंकित किया जायेगा।
(5) रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी, बिना विलम्ब के अन्वेषण अधिकारी को रिपोर्ट भेजेगा जो उसे धारा 173 में निर्दिष्ट मजिस्ट्रेट को उस धारा की उपधारा (5) के खण्ड (क) में निर्दिष्ट दस्तावेजों के भाग रूप में भेजेगा।
इस नई धारा को 2005 के संशोधन से स्थापित किया गया। इससे कानूनी शक्ति प्रदान की गयी ताकि बलात्कार के अपराध के अभियुक्त का चिकित्सीय जांच कराया जा सके। अक्सर ही अन्वेषण अधिकारी के दूरदर्शिता की कमी के कारण निर्णायक विज्ञान संबंधी साक्ष्य नष्ट हो जाते हैं जिसे कि न्यायालयिक जांच से अभियुक्त या पीड़ित के कपड़ों से पाया जा सकता है।
इस नये पुनः स्थापित प्रावधान में, यह अभियोजन के लिये आवश्यक है कि यौन अपराधों के मामलों में DNA Test कराए ताकि अभियोजन को मामला साबित करने में सुविधा हो।
किशन कुमार मलिक बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा ए. आई. आर. 2011 एस. सी. के मामले में अभियोजन कानून हुक्म की अनुपालन करने में असफल रहा एवं DNA Test का सहारा लिया, उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णीत किया कि अभियुक्त की दोषसिद्धि निरस्त करने योग्य है।
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