प्रश्न- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के अन्तर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट क्या है ?

प्रश्न- 
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के अन्तर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट क्या है और इसे कैसे अभिलिखित किया जाता है? साक्ष्य के रूप में इसकी ग्राहयता की, विवेचना कीजिए ।

उत्तर -

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अध्याय 13 एवं धारा 173 में इस संबंध में प्रावधान किया गया है-

धारा 173. संज्ञेय मामलों में सूचना - 

संज्ञेय अपराध के किए जाने से संबंधित प्रत्येक सूचना, उस क्षेत्र पर विचार किए बिना जहां अपराध किया गया है, मौखिक रूप से या इलैक्ट्रानिक संसूचना द्वारा पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को दी जा सकेगी और यदि -

(ⅰ) मौखिक रूप से दी गई है तो उसके द्वारा या उसके निदेश के अधीन लेखबद्ध की जाएगी और सूचना देने वाले को पढ़‌कर सुनाई जाएगी और प्रत्येक ऐसी सूचना पर, चाहे वह लिखित रूप में दी गई हो या पूर्वोक्त रूप में लेखबद्‌ध की गई हो, उस व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे !

(ⅱ) यदि इलेक्ट्रॉनिक संसूचना द्वारा दी गई है, तो उसे देने वाले व्यक्ति द्वारा तीन दिनों के भीतर हस्ताक्षरित किए जाने पर उसके द्वारा अभिलेख पर ली जाएगी,

और उसका सार ऐसी पुस्तक में, जो उस अधिकारी द्वारा ऐसे रूप में रखी जायेगी, जिसे राज्य सरकार, इस निमित्त नियमों द्वारा विहित करे, प्रविष्ट किया जाएगा 

परन्तु 

यदि किसी महिला द्वारा, जिसके विरुद्‌ध भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 64, 65, 66, 67, 68, 69, 70, 71, 74, 75, 76, 77, 78, 79 या 124 के अधीन किसी अपराध के किये जाने या किए जाने का प्रयत्न किये जाने का अभिकथन किया गया है, कोई सूचना दी जाती है तो ऐसी सूचना किसी महिला पुलिस अधिकारी या किसी महिला अधिकारी द्वारा अभिलिखित की जाएगी:

परंतु 

 यदि वह व्यक्ति, जिसके विरुद्धध भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 64,65,66,67,68, 69, 70, 71, 74, 75, 76, 77, 78, 79, धारा 124 के अधीन किसी अपराध के किए जाने या किये जाने का प्रयत्न किए जाने का अभिकथन किया गया है, अस्थायी या स्थायी रूप से मानसिक या. शारीरिक रूप से दिव्यांग है, तो ऐसी सूचना किसी पुलिस अधिकारी द्वारा उस व्यक्ति के, जो ऐसे अपराध की रिपोर्ट करने की वांछा करता है, निवासस्थान पर या उस व्यक्ति के विकल्प के किसी सुगम स्थान पर, किसी ‌‌द्विभाषिए या किसी विशेष शिक्षक की उपस्थिति में अभिलिखित की जाएगी:

(ख) ऐसी सूचना के अभिलेखन पर वीडियो  फिल्म तैयार की जाएगी।

 (ग) पुलिस अधिकारी धारा 183 की उपधारा (6) के खंड (क) के अधीन किसी मजिस्ट्रेट द्‌वारा उस व्यक्ति का कथन यथासंभवशीघ्र अभिलिखित कराएगा।

 (2) उपधारा (1) के अधीन अभिलिखित सूचना की प्रतिलिपि, सूचना देने वाले को तत्काल निःशुल्क दी जाएगी।

(3) धारा 175 में अंतविष्ट उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे किसी संज्ञेय अपराध को करने से संबंधित सूचना की प्राप्ति पर, जिसमें तीन वर्ष वा उससे आधिक का दंड है किंतु सात वर्ष से कम का है, थाने का भारसाधक अधिकारी अपराध की प्रकृति और गंभीरता पर विचार करते हुए उप-पुलिस अधीक्षक की पंक्ति से अन्यून किसी अधिकारी से प्राप्त पूर्व अनुमति से- 

(ⅰ) यह अभिनिश्चित करने के लिए कि क्या  चौदह दिन की अवधि के भीतर मामले में कार्यवाही के लिए कोई प्रथमदृष्ट्या मामला विद्‌मान है, आरंभिक जांच करने के लिये कार्यवारी कर सकेगा, या 

(ii) जब कोई प्रथमदृष्ट्या मामला विद्‌यमान है , तब अन्वेषण के लिए कार्यवारी करेगा।

(4) कोई व्यक्ति, जो किसी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के उपधारा (1) में निर्दिष्ट सूचना का अभिलिखित करने से इंकार करने से व्यक्ति है। ऐसी सूचना का सार लिखित रूप में और डाक द्वारा संबद्‌ध पुलिस अधीक्षक को भेज सकता है जो, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि ऐसी सूचना से किसी संज्ञेय अपराध का किया जाना प्रकट होता है तो, या तो स्वयं मामले का अन्वेषण करेगा या अपने अधीनस्थ किसी पुलिस अधिकारी द्वारा इस संहिता  द्वारा उपबंधित रीति में अन्वेषण किए जाने का निदेश देगा और उस अधिकारी को उस अपराध के संबंध में पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी की सभी शक्तियों होंगी जिसके न हो सकने पर, ऐसा व्यथित व्यक्ति, मजिस्ट्रेट को आवेदन कर सकेगा ।

ग्राहयता-

प्रथम सूचना रिपोर्ट, चूंकि आपराधिक घटना का प्रथम विवरण होता है. अत उसके किए गए कथनों को सम्यक  महत्व दिया जाना चाहिए। इसका प्रयोग केवल इसके कर्ता के अभिकथन  का खण्डन करने के लिए  अथवा उसके साक्ष्य  की पुष्टि  करने के लिए और यह भी प्रदर्शित करने के लिए किया जा सकता है  कि अभियुक्त को फंसाया जाना पूर्व विचारित नहीं था जब प्रथम इत्तिलाकर्ता को बचाव पक्ष द्वारा परीक्षा करने से मुत्त कर  दिया  जाता है और उसकी इत्तिला को बचाव पक्ष द्वारा अपनी सम्मति देकर स्वीकार कर लिया जाता है, तब वह (प्रथम इत्तिला  रिपोर्ट) अभियोजक का साक्ष्य का अंग बन जाती है। (मल्कियत सिंह बनाम पंजाब राज्य (1991)

प्रथम इत्तिला रिपोर्ट चूंकि मूल साक्ष्य नहीं होती, इसका उपयोग इसके करने वाले की सम्पुष्टि या उसका खंडन करने के प्रयोजन के लिए पूर्वकथन के रूप में किया जा सकता है। 



कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.