डगडू बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र 1977


डगडू बनाम महाराष्ट्र राज्य में न्यायमूर्ति चन्द्रचूड (बाद में मुख्य न्यायाधीश) ने निर्णय में कहा: "धारा 133 और 114 के दृष्टान्त में विषमता नहीं है क्योंकि दृष्टान्त केवल यह कहता है कि न्यायालय कुछ परिस्थितियों को उपधारणा कर सकते हैं। यह उपधारणा निश्चयात्मक या अखण्डनीय नहीं हो सकती। दोनों को साथ-साथ पढ़ने से पता चलता है कि यद्यपि 'सह-अपर थी' 'सक्षम साक्षी' है और उसके असम्पृष्ट साक्ष्य पर दोषसिद्धि आधारित की जा सकती है फिर भी न्यायालय को यह उपधारित करने का अधिकार है कि बिना सम्पुष्टि के सहअपराधी के साक्ष्य पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। अपराध स्वीकार करने वाले के साक्ष्य के आधार पर आगे कार्यवाही करना खतरनाक है। ऐसा सहसाक्षी (Approver) यह सिद्ध करे कि उसे क्षमादान देना कहां तक उचित है।"


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