ऐलीबाई का सिद्धांत (धारा 11)

 ऐलीबाई का सिद्धांत(plea of alibi)-


साक्ष्य अधिनियम की धारा 11 में 'अन्यत्र होने का अभिवाक' (plea of alibi) का उपबंध किया गया है-

   इसके अनुसार, वे तथ्य जो अन्यथा सुसंगत नहीं है तब सुसंगत है- (1) यदि वे किसी विवाद्यक  तथ्य या सुसंगत  तथ्य से असंगत है।

(2) यदि वे स्वयमेव या अन्य तथ्यों के संसर्ग में किसी विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य का अस्तित्व या अनस्तित्व अधिसंभाव्य या अनधिसम्भाव्य बनाते है।

      अन्यत्र होने का अभिवाक- अपराध घटित होने के समय घटनास्थल से उस व्यक्ति की अनुपस्थिति का तर्क, जिस पर अपराध का आरोप है, अन्यत्र उपस्थिति के तर्क के नाम से जाना जाता है।

      धारा 11 का प्रथम खंड अन्यत्र उपस्थिति के तर्क से संबंधित है अर्थात वे तथ्य जो अन्यथा सुसंगत नहीं है तब सुसंगत है यदि वे किसी विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य से असंगत है। यदि कोई अपराध किया गया है अभियोजन यह दर्शाता है कि अभियुक्त ने  ही उस अपराध को किया है, तो ऐसी परिस्थिति में अभियुक्त पर सिद्धिभार साक्ष्य अधिनियम की धारा 103 के अंतर्गत उसके ऊपर है कि वह अपराध के समय अपनी उपस्थिति को अन्यत्र सिद्ध  करें और सिद्धि हो जाने पर वह बरी हो जाएगा।

       यद्यपि अन्यत्र उपस्थिति को सिद्धि करने का भार मौलिक रूप से अभियुक्त पर है फिर भी न्यायालय को अन्यत्र उपस्थित को स्थापित करने के लिए न केवल प्रतिरक्षा के साक्ष्यों अपितु अभियोजन के साक्ष्यों को भी देखना चाहिए। न्यायालय दोनों साक्ष्यों का परीक्षण करके न्यायालय अन्यत्र स्थिति को स्थापित कर सकता है।

      असफलता का परिणाम- अभियुक्त को अन्यत्र उपस्थिति की प्रतिरक्षा में असफल हो जाने से अभियोजन को कोई मदद नहीं मिलती है  और इससे यह अभिनिर्धारित नहीं किया जा सकता कि अभियुक्त घटनास्थल पर उपस्थित था या अभियोजन को इसे निश्चायक साक्ष्य द्वारा साबित करना चाहिए।

     दसारी शिव प्रसाद रेड्डी बनाम पब्लिक प्रॉसिक्यूटर हाई कोर्ट 2004 के बाद में अभिनिर्धारित  किया गया कि अभियुक्त द्वारा उपस्थिति का तर्क साबित करने में असफल रहने पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि अभियुक्त घटनास्थल पर उपस्थित था।

      सौ. छाया बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र राज्य 2018 SC  के मामले में मुख्य अभियुक्त के भाई की पत्नी थी वह अलग रहती थी घटना के समय वह अस्पताल में भर्ती थी। चिकित्सा प्रमाण के अनुसार  घटना के कुछ दिन पूर्व ही उसकी सर्जरी अर्थात शल्य  चिकित्सा हुई थी और वह घर से बाहर निकलने में पूर्णतया असमर्थ थी। उसके 'अन्यत्र उपस्थिति के अभिवाक' को स्वीकार किया गया।

      निष्कर्ष-

 धारा 11 ऐसे तथ्यों के बारे में नियम बनाती है जो वाद के तथ्यों से ऐसा संबंध नहीं रखते कि स्वयं सुसंगत हो सकें और जो केवल इस कारण सुसंगत मान लिए गए हैं कि वह मामले के तथ्यों से या तो असंगत है या होने या न होने के तथ्य को अत्यंत  अधिसंभाव्य या अनधिसंभाव्य बनाते हैं।












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