विवाहित स्त्री द्वारा आत्महत्या का दुष्प्रेरण(धारा 113"क") साक्ष्य अधिनियम

  विवाहित स्त्री द्वारा आत्महत्या का दुष्प्रेरण

           

विवाहित स्त्री द्वारा आत्महत्या का दुष्प्रेरण

 विवाहित स्त्री द्वारा आत्महत्या के दुष्प्रेरण की प्रकल्पना धारा 113 "क" सहपठित धारा 4 और धारा 498 "क" आई.पी.सी. के अंतर्गत प्रावधानित है  -

             धारा 113 "क" के अनुसार, यदि कोई विवाहित स्त्री अपने विवाह की अवधि के सात वर्ष के भीतर आत्महत्या करती है तथा यह साबित कर दिया जाता है कि पति तथा उसके नातेदारों का आचरण उसके विरुद्ध क्रूरतापूर्ण रहा है तो न्यायालय यह उपधारित कर सकेगा कि उक्त विवाहित स्त्री ने आत्महत्या नहीं की थी, आपितु  उक्त्त आत्महत्या को उसके पति तथा उसके निकटतम नातेदारों ने दुष्प्रेरित किया था।

           उक्त परिस्थिति में न्यायालय उपधारणा करेगा कि विवाहित स्त्री ने आत्महत्या नहीं की थी अपितु उसकी आत्महत्या को उसके पति तथा निकटतम नातेदारों द्वारा दुष्प्ररित किया गया था।

        उद्देश्य-

इस धारा का उद्देश्य विवाहिता महिला को आत्महत्या करने हेतु दुष्प्रेरित करने वाले पति या उसके संबंधियों को सिद्धभारिता के तकनीकी नियमों का अवांछित लाभ लेने से निवारित करना तथा विवाहिता द्वारा आत्महत्या के बढ़ते हुए मामलों को सीमित करना है।

धारा 113 "क" उपधारणा करने या न करने का विवेक प्रदान करती है।

 धारा 113 "क" वहां प्रयोज्य होगी  जहाँ  न्यायालय के समक्ष प्रश्न यह हो कि क्या विवाहिता द्वारा आत्महत्या कारित किया जाना उसके पति या उसके संबंधियों द्वारा दुष्प्रेरित है।

धारा 113 'क' में क्रूरता  शब्द का वही अर्थ होगा जो धारा 498 'क' भारतीय दंड संहिता में परिभाषित है।

 क्रूरता से तात्पर्य ऐसे दोषपूर्ण आचरण से है जो अपनी प्रकृति से ऐसा है कि उसके कोई महिला आत्महत्या करने या जोखिम कारित करने के लिए विवश कर सकता है।

         क्रूरता  तंग किये जाने से भी गठित हो सकती है। जहां किसी संपत्ति और मूल्यवान प्रतिभूति या उसके या उसके संबंधी द्वारा किसी संपत्ति एवं मूल्यवान प्रतिभूति की विधिविरुद्ध  मांग की संपुष्टि हेतु उसे या उसके संबंधी को प्रपीड़ित किया जाता है। वहां ऐसा तंग किया जाना क्रूरता  गठित करेगा।

      वी. के. मिश्रा और अन्य राहुल मिश्रा जुलाई 2015 के वाद में कहा गया कि जहां दहेज की मांग और क्रूरता  तथा उत्पीड़न स्थापित है और विवाहित महिला विवाह के सात वर्ष के भीतर असामान्य परिस्थिति में मृत हुई है, मृतक के पति और या उसके नातेदारों के विरुद्ध उपधारणा की जाएगी कि उन्होंने दहेज मृत्यु कारित की है।  अपील निरस्त किंतु दंडादेश कम किया गया।

        गुरु वचन सिंह बनाम सतपाल सिंह के बाद में उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि धारा 113 'क' के उपबंध संशोधन के पूर्व मामलों पर भी लागू होते हैं या उपबंध कोई नया अपराध सृजित नहीं करता है  और ना ही कोई तात्विक अधिकार,  यह केवल कार्यवाही का विषय है  और इसलिए भूतलक्षी प्रभाव है।

प्रश्न- एक विवाहित स्त्री आत्महत्या कर लेती है क्या इस आत्महत्या को दूष्प्रेरित करने के लिए उसके पति या पति के नातेदारों के विरुद्ध उपधारणा की जा सकती है? यदि हां तो किन परिस्थितियों में ?





    

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