उपधारणा कर सकेगा एवं उपधारणा करेगा
उपधारणा कर सकेगा एवं उपधारणा करेगा:-
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 4 अध्याय 1 में न्यायालय किसी तथ्य की उपधारणा कर सकेगा एवं उपधारणा करेगा के बारे में प्रावधान किया गया है।
उपधारणा कर सकेगा-
जहां कहीं इस अधिनियम द्वारा को उपबंधित है कि न्यायालय किसी तथ्य की उपधारणा कर सकेगा वहां न्यायालय या तो ऐसे तथ्य को साबित हुआ मान सकेगा और यदि जब तक के नासाबित नहीं किया जाता है या उसके सबूत की मांग कर सकेगा।
उपधारण करेगा -
जहां कहीं इस अधिनियम द्वारा निर्दिष्ट है कि न्यायालय किसी तथ्य की उपधारणा करेगा। वहां न्यायालय ऐसे तथ्य को साबित मानेगा यदि और जब तक वह नासाबित नहीं किया जाता है।
उपधारणा दो प्रकार की होती है।
(1)तथ्य की उपधारणा (2)विधि के उपधारणा- यह दो प्रकार की होती है -(1)खंडनीय (2) अखंडनीय
अंतर-
(1)उपधारणा कर सकेगा न्यायालय को विवेकीय शक्ति प्रदान करता है अर्थात ऐसी उपधारणा करने के लिए न्यायालय स्वतंत्र है जबकि उपधारणा करेगा न्यायालय के लिए बाध्यकारी है।
(2) उपधारणा कर सकेगा तथ्य की उपधारणा है इसमें तर्क की शक्ति होती है जबकि उपधारणा करेगा विधि की उपधारणा है इसमें विधि के नियमों की शक्ति होती है।
(3) उपधारणा कर सकेगा विधि नहीं होती। जबकि उपधारणा करेगा विधि का एक नियम होती है।
(4) उपधारणा कर सकेगा अलग-अलग तथ्यों पर की जाती है । जबकि उपधारणा करेगा निश्चित होती है और एक ही प्रकार के मामले में समान रूप से लागू होती है।
(5) उपधारणा कर सकेगा प्राकृतिक या स्वाभाविक होती है। जबकि उपधारणा करेगा कृत्रिम या विधि के देन होती है।
(6) उपधारणा कर सकेगा के दृष्टांत धारा 86, 87, 88, 90, 114 में मिलते हैं। जबकि उपधारणा करेगा के दृष्टांत धारा 79 से 85'ग' तथा धारा 105, 108,114 'क' में मिलते हैं।
उदाहरण-
न्यायालय उपधारित कर सकेगा- धारा 114 का दृष्टांत 'क' चुराये हुए माल पर जिन मनुष्य का चोरी के शीघ्र उपरांत कब्जा है, जब तक कि वह अपने कब्जे का कारण न बता सके, या तो वह चोर है या उसने माल को चुराया हुआ जानते हुए प्राप्त किया है।
उदाहरण- धारा 114 'क'- धारा 376 (2) आईपीसी के मामले में जहाँ कि मैथुन साबित है, स्त्री सम्मति नहीं देने का अभिवाक करती है न्यायालय उपधारणा करेगा की सम्मति नहीं दी थी।https://urlwwwvidiksangyan.blogspot.com/2023/11/blog-post_23.html
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