विधिक प्रतिनिधि के विरुद्ध डिक्री का प्रवर्तन धारा 52(सीपीसी)-

  डिक्री के विरुद्ध कानूनी प्रतिनिधि का प्रवर्तन धारा 52(सीपीसी)-


 (1) जहां किसी भी मृत व्यक्ति के विधिक प्रतिनिधि के रूप में किसी भी समर्थक के खिलाफ किसी डिकरी को पारित कर दिया गया है और मृत व्यक्ति की हत्या में शामिल धन संदत्त की जांच की जा सकती है ।।

(2) जहां निर्णीत-ऋणी के व्यवसाय में ऐसी कोई आपत्ति नहीं है और वह न्यायालय का यह समाधान करने में लगा हुआ है कि वह मृत व्यक्ति के उस प्रतिज्ञा का सम्यक रूप से उपयोजन कर दिया है, जो उसके व्यवसाय में लागू है। वहां डिक्री निर्णीत ऋण के खिलाफ उस अभियान के संबंध में है, जिसके संबंध में वह न्यायालय का समाधान करने में लगी हुई है, उसी रीति से साक्षियों की जा सकती है, वह डिक्री वैयक्तिक रूप से उसके विरोध में छोड़ी गई थी।

धारा 50 इस बात का उपबंध यह बताता है कि डिक्री का निष्पादन निर्नीत-ऋणी के विधिक प्रतिनिधि के विरुद्ध किया जा सकता है, जब कि डिक्री की पूर्णरूप से तुष्टि होने के पूर्व निर्नीत- ऋण की मृत्यु हो जाती है। लेकिन धारा 52 इस बात का उपबन्ध है या संयुक्त राष्ट्र में लागू होता है जहां डिक्री किसी मृत व्यक्ति के विधिक प्रतिनिधि के खिलाफ पारित किया गया है।

घर 52 की उपधारा (1) इस मंत्र का अधिकार किसी ऋणदाता को प्रदान करता है कि वह मृत व्यक्ति के विधिक प्रतिनिधि के हाथों में जो उसके विरुद्ध ऋण कर सकता है, और उपधारा (2) इस बात का अधिकार ऋणदाता को प्रदान करता है विधिक प्रतिनिधि के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से मुकदमा चलाया जा सकता है, यदि विधिक प्रतिनिधि के हाथ में संपत्ति का अधिकार-जोखा नहीं मिलता।

आवश्यक शर्त -

धारा के लागू होने के लिए न्यूनतम आवश्यक छात्र-छात्राओं का पूरा होना आवश्यक है- 

(1) जहां किसी मृत व्यक्ति के विधिक प्रतिनिधि के विरुद्ध किसी सरकारी प्रतिनिधि की नियुक्ति की जाती है, और

(2) जहां दीक्री धन की अदायगी के लिए है और अदायागी मृतक की सजा जो विधिक प्रतिनिधि के हाथों में है, से की जानी है। 



कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.