धन की डिक्री के निष्पादन में स्त्रियों की गिरफ्तारी या निरोध का निषेध धारा- 56

 धन की डिक्री के निष्पादन में स्त्रियों की गिरफ्तारी या निरोध का निषेध- 


सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 56 में धन की डिक्री के निष्पादन में स्त्रियों की गिरफ्तारी या निरोध का निषेध के बारे में प्रावधान किया गया है।


धारा 56 के अनुसार, इस भाग में किसी बात के होते हुए भी, न्यायालय धन के संदाय की डिक्री के निष्पादन में स्त्री को गिरफ्तार करने और सिविल कारागार में निरुद्ध करने के लिए आदेश नहीं देगा।

मेसर्स चेलसी मिल्स बनाम चोरस गर्ल,1991 के वाद में अभिनिर्धारित किया गया कि धन की डिक्री के निष्पादन में स्त्रियों की गिरफ्तारी या निरोध का निषेध है। उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।

परन्तु जहां किसी वाद में कोई स्त्री वादी है और ऐसा धन के संदाय के लिये है, वहां उसे प्रतिवादी के खर्च (व्यय) के लिये प्रतिभूति देने के लिए न्यायालय आदेश दे सकता है।

सीरिल ब्रिटो बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, 2003 केरल के मामले में धारा 56 के इन प्रावधानों को संवैधानिक ठहराया गया है कि धन के भुगतान की डिक्री के निष्पादन में किसी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 का अतिलंघन नहीं करता है और न शक्ति बाध्य है। संविधान में यह स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि महिलाओं के लिए विशेष उपबंध किये जा सकते है ।

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.