दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (विषय-सूची )

                 

                                                 दण्ड  प्रक्रिया संहिता, 1973       

                                         विषय-सूची

                          


        अध्याय 1

          प्रारम्भिक

        धाराएँ

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ

2. परिभाषाएँ..

3. निर्देशों का अर्थ लगाना.

4. भारतीय दण्ड संहिता और अन्य विधियों के अधीन अपराधों का विचारण.

5. व्यावृत्ति.

                      अध्याय 2

       दण्ड न्यायालयों और कार्यालयों का गठन

6. दण्ड न्यायालयों के वर्ग.

7. प्रादेशिक खण्ड

8. महानगर क्षेत्र.

9. सेशन न्यायालय

10. सहायक सेशन न्यायाधीशों का अधीनस्थ होना.

11. न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालय..

12. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आदि.

13. विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट

14. न्यायिक मजिस्ट्रेटों की स्थानीय अधिकारिता.

15. न्यायिक मजिस्ट्रेटों का अधीनस्थ होना.

16. महानगर मजिस्ट्रेटों के न्यायालय..

17. मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट और अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट.

18. विशेष महानगर मजिस्ट्रेट..

19. महानगर मजिस्ट्रेटों का अधीनस्थ होना.

20. कार्यपालक मजिस्ट्रेट.

21. विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट.

22. कार्यपालक मजिस्ट्रेटों की स्थानीय अधिकारिता.

23. कार्यपालक मजिस्ट्रेटों का अधीनस्थ होना.

24. लोक अभियोजक.

25. सहायक लोक अभियोजक.

25क. अभियोजन निदेशालय

                            अध्याय 3

                       न्यायालयों की शक्ति

26. न्यायालय, जिनके द्वारा अपराध विचारणीय हैं..

27. किशोरों के मामलों में अधिकारिता..

28. दण्डादेश, जो उच्च न्यायालय और सेशन न्यायाधीश दे सकेंगे.

29. दण्डादेश, जो मजिस्ट्रेट दे सकेंगे..

30. जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास का दण्डादेश..

31. एक ही विचारण में कई अपराधों के लिए दोषसिद्ध होने के मामलों में दण्डादेश.

32. शक्तियाँ प्रदान करने का ढंग...

33. नियुक्त अधिकारियों की शक्तियाँ..

34. शक्तियों को वापस लेना.

35. न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों की शक्तियों का उनके पद-उत्तरवर्तियों द्वारा प्रयोग किया जा सकना

                          अध्याय 4

क-वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शक्तियाँ

36. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शक्तियाँ.

       ख-मजिस्ट्रेट और पुलिस को सहायता

37. जनता कब मजिस्ट्रेट और पुलिस की सहायता करेगी

38. पुलिस अधिकारी से भिन्न ऐसे व्यक्ति को सहायता जो वारण्ट का निष्पादन कर रहा है.......

39. कुछ अपराधों की इत्तिला का जनता द्वारा दिया जाना..

40. ग्राम के मामलों के सम्बन्ध में नियोजित अधिकारियों के कतिपय रिपोर्ट करने का कर्त्तव्य.

                              अध्याय 5

                     व्यक्तियों की गिरफ्तारी

41. पुलिस वारण्ट के बिना कब गिरफ्तार कर सकेगी..

41क. पुलिस अधिकारी के समक्ष हाजिर होने की सूचना..

41 ख. गिरफ्तारी की प्रक्रिया और गिरफ्तारी करने वाले अधिकारी के कर्तव्य.

41ग. जिले में नियंत्रण कक्ष..

41घ. गिरफ्तार किये गये व्यक्ति का पूछताछ के दौरान अपनी पसंद के अधिवक्ता से मिलने का अधिकार...

42. नाम और निवास बताने से इन्कार करने पर गिरफ्तारी.

43. प्राइवेट व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी और ऐसी गिरफ्तारी पर प्रक्रिया.

44. मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी,

45. सशस्त्र बलों के सदस्यों का गिरफ्तारी से संरक्षण.

46. गिरफ्तारी कैसे की जाएगी..

47. उस स्थान की तलाशी, जिसमें ऐसा व्यक्ति प्रविष्ट हुआ है जिसकी गिरफ्तारी की जानी है..

48. अन्य अधिकारिताओं में अपराधियों का पीछा करना.

49. अनावश्यक अवरोध न करना..

50. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों और जमानत के अधिकार की इत्तिला दी जाना.

50क. गिरफ्तारी करने वाले व्यक्ति की, गिरफ्तारी आदि के बारे में, नामित व्यक्ति को जानकारी देने की बाध्यता....

51. गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की तलाशी..

52. आक्रामक आयुधों का अभिग्रहण करने की शक्ति.

53. पुलिस अधिकारी की प्रार्थना पर चिकित्सा व्यवसायी द्वारा अभियुक्त की परीक्षा..

53क. बलात्संग के अपराधी व्यक्ति की चिकित्सा व्यवसायी द्वारा परीक्षा.

54. गिरफ्तार व्यक्ति की चिकित्सा अधिकारी द्वारा परीक्षा.

54क. गिरफ्तार व्यक्ति की शिनाख्त.

55. जब पुलिस अधिकारी वारण्ट के बिना गिरफ्तार करने के लिए अपने अधीनस्थ को प्रतिनियुक्त करता है तब प्रक्रिया...

55क. गिरफ्तार किये गये व्यक्ति का स्वास्थ्य और सुरक्षा..

56. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का मजिस्ट्रेट या पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के समक्ष ले जाया जाना..

57. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का चौबीस घण्टे से अधिक निरुद्ध न किया जाना...

58. पुलिस का गिरफ्तारियों की रिपोर्ट करना.

59. पकड़े गये व्यक्ति का उन्मोचन...

60. निकल भागने पर पीछा करने और फिर पकड़ लेने की शक्ति.

60क. गिरफ्तारी का कठोरतापूर्वक संहिता के अनुसार ही किया जाना..

                              अध्याय 6

हाजिर होने को विवश करने के लिए आदेशिकाएँ

                             क-समन

61. समन का प्ररूप...

62. समन की तामील कैसे की जाए..

63. निगमित निकायों और सोसाइटियों पर समन की तामील..

64. जब समन किए गए व्यक्ति न मिल सकें तब तामील....

65. जब पूर्व उपबन्धित प्रकार से तामील न की जा सके तब प्रक्रिया...

66. सरकारी सेवक पर तामील.

67. स्थानीय सीमाओं के बाहर समन की तामील..

68. ऐसे मामलों में और जब तामील करने वाला अधिकारी उपस्थित न हो तब तामील का सबूत.

69. साक्षी पर डाक द्वारा समन की तामील.

                   ख-गिरफ्तारी का वारण्ट

70. गिरफ्तारी के वारण्ट का प्ररूप और अवधि....

71. प्रतिभूति लिए जाने का निदेश देने की शक्ति.

72. वारण्ट किसको निदिष्ट होंगे

73. वारण्ट किसी भी व्यक्ति को निदिष्ट हो सकेंगे..

74. पुलिस अधिकारी को निदिष्ट वारण्ट...

75. वारण्ट के सार की सूचना..

76. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का न्यायालय के समक्ष अविलम्ब लाया जाना.

77. वारण्ट कहाँ निष्पादित किया जा सकता है.....

78. अधिकारिता के बाहर निष्पादन के लिये भेजा गया वारंट..

79. अधिकारिता के बाहर निष्पादन के लिये पुलिस अधिकारी को निदिष्ट वारंट... 

80. जिस व्यक्ति के विरुद्ध वारण्ट जारी किया गया है, उसके गिरफ्तार होने पर प्रक्रिया..

81. उस मजिस्ट्रेट द्वारा प्रक्रिया जिसके समक्ष ऐसे गिरफ्तार किया गया व्यक्ति लाया जाए...

                  ग-उद्घोषणा और कुर्की

82. फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा.

83. फरार व्यक्ति की सम्पत्ति की कुर्की.

84. कुर्की के बारे में दावे और आपत्तियाँ.

85. कुर्क की हुई सम्पत्ति को निर्मुक्त करना, विक्रय और वापस करना.. 86. कुर्क सम्पत्ति की वापसी के लिये आवेदन नामंजूर करने वाले आदेश से अपील..

          घ-आदेशिकाओं सम्बन्धी अन्य नियम

87. समन के स्थान पर या उसके अतिरिक्त वारण्ट का जारी किया जाना.

88. हाजिरी के लिये बन्धपत्र लेने की शक्ति....

89. हाजिरी का बन्धपत्र भंग करने पर गिरफ्तारी.

90. इस अध्याय के उपबन्धों का साधारणतया समनों और गिरफ्तारी के वारण्टों को लागू होना

                        अध्याय 7

चीजें पेश करने को विवश करने के लिए आदेशिकाएँ

              क-पेश करने के लिए समन

91. दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने के लिये समन...

92. पत्रों और तारों के सम्बन्ध में प्रक्रिया..

                  ख-तलाशी-वारण्ट

93. तलाशी-वारण्ट कब जारी किया जा सकता है..

94. उस स्थान की तलाशी, जिसमें चुराई हुई सम्पत्ति, कूटरचित दस्तावेज आदि होने का सन्देह है...

95. कुछ प्रकाशनों के समपहृत होने की घोषणा करने और उनके लिये तलाशी वारंट जारी करने की शक्ति..

96. समपहरण की घोषणा को अपास्त करने के लिये उच्च न्यायालय में आवेदन.

97. सदोष परिरुद्ध व्यक्तियों के लिये तलाशी...

98. अपहृत स्त्रियों को वापस करने के लिये विवश करने की शक्ति..

        ग-तलाशी सम्बन्धी साधारण उपबन्ध

99. तलाशी वारंटों का निदेशन आदि...

100. बन्द स्थान के भारसाधक व्यक्ति तलाशी लेने देंगे...

101. अधिकारिता के परे तलाशी में पाई गई चीजों का व्ययन,

                             घ-प्रकीर्ण

102. कुछ सम्पत्ति को अभिगृहीत करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति...

103. मजिस्ट्रेट अपनी उपस्थिति में तलाशी ली जाने का निदेश दे सकता है..

104. पेश की गई दस्तावेज आदि को परिवद्ध करने की शक्ति.....

105. आदेशिकाओं के बारे में व्यतिकारी व्यवस्था...

                          अध्याय 7-क

कुछ मामलों में सहायता के लिए व्यतिकारी व्यवस्था तथा सम्पत्ति की कुर्की और समपहरण के लिए प्रक्रिया

105क. परिभाषाएं.

105ख. व्यक्तियों का अन्तरण सुनिश्चित करने में सहायता....

105ग. सम्पत्ति की कुर्की या समपहरण के आदेशों के सम्बन्ध में सहायता...

105घ, विधिविरुद्धतया अर्जित सम्पत्ति की पहचान करना.

105ङ, सम्पत्ति का अभिग्रहण या कुर्की.

105च. इस अध्याय के अधीन अभिगृहीत या समपहृत सम्पत्ति का प्रबन्ध.

105छ. सम्पत्ति के समपहरण की सूचना..

105ज. कतिपय मामलों में सम्पत्ति का समपहरण..

105झ. समपहरण के बदले जुर्माना.

105ञ. कुछ अंतरणों का अकृत और शून्य होना.

105ट. अनुरोध-पत्र की बाबत प्रक्रिया..

105ठ. इस अध्याय का लागू होना.

                           अध्याय 8

परिशान्ति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति

106. दोषसिद्धि पर परिशान्ति कायम रखने के लिये प्रतिभूति.

107. अन्य दशाओं में परिशान्ति कायम रखने के लिए प्रतिभूति.

108. राजद्रोहात्मक बातों को फैलाने वाले व्यक्तियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति.

109. संदिग्ध व्यक्तियों से सदाचार के लिये प्रतिभूति..

110. आभ्यासिक अपराधियों से सदाचार के लिये प्रतिभूति

111. आदेश का दिया जाना.......

112. न्यायालय में उपस्थित व्यक्ति के बारे में प्रक्रिया..

113. ऐसे व्यक्ति के बारे में समन या वारण्ट जो उपस्थित नहीं है...

114. समन या वारंट के साथ आदेश की प्रति होगी..

115. वैयक्तिक हाजिरी से अभिमुक्ति देने की शक्ति.

116. इत्तिला की सच्चाई के बारे में जाँच,

117. प्रतिभूति देने का आदेश...

118. उस व्यक्ति का उन्मोचन जिसके विरुद्ध इत्तिला दी गयी है..

119. जिस अवधि के लिये प्रतिभूति अपेक्षित की गई है उसका प्रारम्भ..

120. बन्धपत्र की अन्तर्वस्तुएँ.

121. प्रतिभुओं को अस्वीकार करने की शक्ति..

122. प्रतिभूति देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास.

123. प्रतिभूति देने में असफलता के कारण कारावासित व्यक्तियों को छोड़ने की शक्ति..

124. बन्धपत्र की शेष अवधि के लिए प्रतिभूति..

                        अध्याय  9

पत्नी, सन्तान और माता-पिता के भरण-पोषण के लिये आदेश

125. पत्नी, सन्तान और माता-पिता के भरण-पोषण के लिए आदेश.

126. प्रक्रिया.

127. भत्ते में परिवर्तन.

128. भरण-पोषण के आदेश का प्रवर्तन.

                          अध्याय 10

लोक व्यवस्था और प्रशान्ति बनाये रखना

                     क-विधिविरुद्ध जमाव

129. सिविल बल के प्रयोग द्वारा जमाव को तितर-बितर करना...

130. जमाव को तितर-बितर करने के लिए सशस्त्र बल का प्रयोग,

131. जमाव को तितर-बितर करने की सशस्त्र बल के कुछ अधिकारियों की शक्ति.

132. पूर्ववर्ती धाराओं के अधीन किए गये कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षण..

                 ख-लोक न्यूसेन्स

133. न्यूसेन्स हटाने के लिए सशर्त आदेश.

134. आदेश की तामील या अधिसूचना..

135. जिस व्यक्ति को आदेश सम्बोधित है, वह उसका पालन करेगा या कारण दर्शित करेगा

136. उसके ऐसा करने में असफल रहने का परिणाम........

137. जहाँ लोक अधिकार के अस्तित्व से इन्कार किया जाता है, वहाँ प्रक्रिया....

138. जहाँ वह कारण दर्शित करने के लिए हाजिर है, वहाँ प्रक्रिया..

139. स्थानीय अन्वेषण के लिए निदेश देने और विशेषज्ञ की परीक्षा करने की मजिस्ट्रेट की शक्ति..

140. मजिस्ट्रेट की लिखित अनुदेश आदि देने की शक्ति

141. आदेश अन्तिम कर दिए जाने पर प्रक्रिया और उसकी अवज्ञा के परिणाम

142. जाँच के लंबित रहने तक व्यादेश

143. मजिस्ट्रेट लोक न्यूसेन्स की पुनरावृत्ति या उसे चालू रखने का प्रतिषेध कर सकता

     ग-न्यूसेंस या आशंकित खतरे के अर्जेंट मामले

144. न्यूसेंस या आशंकित खतरे के अर्जेण्ट मामलों में आदेश जारी करने की शक्ति 

144क. आयुध सहित जुलूस या सामूहिक क्वायद या सामूहिक प्रशिक्षण के प्रशि घ-स्थावर सम्पत्ति के बारे में विवाद

145. जहाँ भूमि या जल से संबद्ध विवादों से परिशान्ति भंग होना सम्भाव्य है, वहाँ प्रक्रिया

146. विवाद की विषयवस्तु को कुर्क करने की और रिसीवर नियुक करने की शक्ति 

147. भूमि या जल के उपयोग के अधिकार से संबद्ध विवाद

148. स्थानीय जाँच

                           अध्याय 11

                  पुलिस का निवारक कार्य

149. पुलिस का संज्ञेय अपराधों का निवारण करना,

150. संज्ञेय अपराधों के किए जाने की परिकल्पना की इत्तिला.

151. संज्ञेय अपराधों का किया जाना रोकने के लिये गिरफ्तारी,

152. लोक सम्पत्ति की हानि का निवारण..

153. बाटों और मापों का निरीक्षण,

                     अध्याय 12

पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियों

154. संज्ञेय मामलों में इत्तिला......

155. असंज्ञेय मामलों के बारे में इत्तिला और ऐसे मामलों का अन्वेषण..

156. संज्ञेय मामलों का अन्वेषण करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति.

157. अन्वेषण के लिए प्रक्रिया......

158. रिपोर्ट कैसे दी जाएंगी.

159. अन्वेषण या प्रारम्भिक जाँच करने की शक्ति,

160. साक्षियों की हाजिरी की अपेक्षा करने की पुलिस अधिकारी की शकि...

161. पुलिस द्वारा साक्षियों की परीक्षा..

162. पुलिस से किए गए कथनों का हस्ताक्षरित न किया जाना कथनों का साक्ष्य में उपयोग......

163. कोई उत्प्रेरणा न दिया जाना.....

164. संस्वीकृतियों और कथनों की अभिलिखित करना,

164क, बलात्संग के पीड़ित व्यक्ति की चिकित्सकीय परीक्षा

165. पुलिस अधिकारी द्वारा तलाशी.

166. पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी कब किसी अन्य अधिकारी से तलाशी-वारण्ट जारी करने की अपेक्षा कर सकता है....

166क. भारत के बाहर किसी देश या स्थान में अन्वेषण के लिए सक्षम प्राधिकारी को अनुरोध-पत्र

166 ख. भारत के बाहर के किसी देश या स्थान से भारत में अन्वेषण के लिए किसी न्यायालय या प्राधिकारी को अनुरोध-पत्र.

167. जब चौबीस घंटे के अन्दर अन्वेषण पूरा न किया जा सके तब प्रक्रिया..

168. अधीनस्थ पुलिस अधिकारी द्वारा अन्वेषण की रिपोर्ट.


169. जब साक्ष्य अपर्याप्त हो तब अभियुक्त का छोड़ा जाना.

170. जब साक्ष्य पर्याप्त है तब मामलों का मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया जाना,

171. परिवादी और साक्षियों से पुलिस अधिकारी के साथ जाने की अपेक्षा न किया जाना और उनका अवरुद्ध न किया जाना...

172. अन्वेषण में कार्यवाहियों को डायरी...

173. अन्वेषण के समाप्त हो जाने पर पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट.

174. आत्महत्या, आदि पर पुलिस का जाँच करना और रिपोर्ट देना.

175. व्यक्तियों को समन करने की शक्ति.

176. मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट द्वारा जांच....

                        अध्याय 13

जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता

177. जाँच और विचारण का मामूली स्थान..

178. जाँच या विचारण का स्थान....

179. अपराध वहाँ विचारणीय होगा जहाँ कार्य किया गया या जहाँ परिणाम निकला...

180. जहाँ कार्य अन्य अपराध से सम्बन्धित होने के कारण अपराध है, वहाँ विचारण का स्थान.....

181. कुछ अपराधों की दशा में विचारण का स्थान..

182. पत्रों, आदि द्वारा किए गए अपराध..

183. यात्रा या जलयात्रा में किया गया अपराध.

184. एक साथ विचारणीय अपराधों के लिए विचारण का स्थान....

185. विभिन्न सेशन खण्डों में मामलों के विचारण का आदेश देने की शक्ति.

186. संदेह की दशा में उच्च न्यायालय का वह जिला विनिश्चित करना जिसमें जाँच या विचारण होगा..

187. स्थानीय अधिकारिता से परे किए गए अपराध के लिये समन या वारंट जारी करने की शकि...

188. भारत से बाहर किया गया अपराध.....

189. भारत के बाहर किये गये अपराधों के बारे में साक्ष्य लेना....

                   अध्याय 14

कार्यवाहियाँ शुरू करने के लिए अपेक्षित शर्तें

190. मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधों का संज्ञान.......

191. अभियुक्त के आवेदन पर अन्तरण,

192. मामले मजिस्ट्रेटों के हवाले करना....

193. अपराधों का सेशन न्यायालयों द्वारा संज्ञान..

194. अपर और सहायक सेशन न्यायाधीशों को हवाले किए गए मामलों पर उनके द्वारा विचारण...

195. लोक-न्याय के विरुद्ध अपराधों के लिए और साक्ष्य में दिए गए दस्तावेजों से सम्बन्धित अपराधों के लिए, लोक-सेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के अवमान के लिए अभियोजन.....

195क, धमकी देने आदि की दशा में साक्षियों के लिये प्रक्रिया..

196. राज्य के विरुद्ध अपराधों के लिये और ऐसे अपराध करने के लिए आपराधिक षड्यन्त्र के लिये अभियोजना...

197. न्यायाधीशों और लोक सेवकों का अभियोजन..

198. विवाह के विरुद्ध अपराधों के लिए अभियोजन.

198क. भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498 क के अधीन अपराधों का अभियोजन

198-ख. अपराध का संज्ञान..

199. मानहानि के लिए अभियोजन...

                        अध्याय 15

                      मजिस्ट्रेटों से परिवाद

200. परिवादी की परीक्षा

201. ऐसे मजिस्ट्रेट द्वारा प्रक्रिया जो मामले का संज्ञान करने के लिए सक्षम नहीं है..

202. आदेशिका के जारी किए जाने को मुल्तवी करना.....

203. परिवाद का खारिज किया जाना..

                         अध्याय 16

मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही का प्रारम्भ किया जाना

204. आदेशिका का जारी किया जाना....

205, मजिस्ट्रेट का अभियुक्त को वैयक्तिक हाजिरी से अभिमुक्ति दे सकना..

206. छोटे अपराधों के मामले में विशेष समन..

207. अभियुक्त को पुलिस रिपोर्ट या अन्य दस्तावेजों की प्रतिलिपि देना..

208. सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय अन्य मामलों में अभियुक्त को कथनों और दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ देना.

209. जब अपराध अनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है तब मामला उसे सुपुर्द करना.....

210. परिवाद वाले मामले में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया और उसी अपराध के बारे में पुलिस अन्वेषण...

                           अध्याय 17

                               आरोप

                     क-आरोपों का प्ररूप

211. आरोप की अन्तर्वस्तु...

212. समय, स्थान और व्यक्ति के बारे में विशिष्टियाँ..

213. कब अपराध किए जाने की रीति कथित की जानी चाहिए..

214. आरोप के शब्दों का वह अर्थ लिया जाएगा जो उनका उस विधि में है जिसके अधीन वह अपराध दण्डनीय है.

215. गलतियों का प्रभाव...

216. न्यायालय आरोप परिवर्तित कर सकता है.

217. जब आरोप परिवर्तित किया जाता है तब साक्षियों का पुनः बुलाया जाना..

                ख-आरोपों का संयोजन

218. सुभिन्न अपराधों के लिए पृथक् आरोप..

219. एक ही वर्ष में किए गए एक ही किस्म के तीन अपराधों का आरोप एक साथ लगाया जा सकेगा...

220. एक से अधिक अपराधों के लिए विचारण.....

221. जहाँ इस बारे में सन्देह है कि कौन सा अपराध किया गया है..

222. जब वह अपराध, जो साबित हुआ है, आरोपित अपराध के अन्तर्गत है. 223. किन व्यक्तियों पर संयुक्त रूप से आरोप लगाया जा सकेगा..

224. कई आरोपों में से एक के लिए दोषसिद्धि पर शेष आरोपों को वापस लेना..

                            अध्याय 18

              सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण

225. विचारण का संचालन लोक अभियोजक द्वारा किया जाना.

226. अभियोजन के मामले के कथन का आरम्भ..

227. उन्मोचन.

228. आरोप विरचित करना...

229. दोषी होने के अभिवचन.

230. अभियोजन साक्ष्य के लिए तारीख.

231. अभियोजन के लिए साक्ष्य.

232. दोषमुक्ति..

233. प्रतिरक्षा आरम्भ करना.

234. बहस....

235. दोषमुक्ति या दोषसिद्धि का निर्णय.

236. पूर्व-दोषसिद्धि..

237. धारा 199 (2) के अधीन संस्थित मामलों में प्रक्रिया.

                            अध्याय 19

मजिस्ट्रेटों द्वारा वारण्ट-मामलों का विचारण

      क-पुलिस रिपोर्ट पर संस्थित मामले

238. धारा 207 का अनुपालन...

239. अभियुक्त को कब उन्मोचित किया जाएगा..

240. आरोप विरचित करना..

241. दोषी होने के अभिवाक् पर दोषसिद्धि.

242. अभियोजन के लिए साक्ष्य.

243. प्रतिरक्षा का साक्ष्य.

ख-पुलिस रिपोर्ट से भिन्न आधार पर संस्थित मामले

244. अभियोजन का साक्ष्य..

245. अभियुक्त को कब उन्मोचित किया जाएगा...

246. प्रक्रिया, जहाँ अभियुक्त उन्मोचित नहीं किया जाता.

247. प्रतिरक्षा का साक्ष्य

              ग-विचारण की समाति

248. दोषमुक्ति या दोषसिद्धि..

249. परिवादी की अनुपस्थिति.

250. उचित कारण के बिना अभियोग के लिए प्रतिकर...

                     अध्याय 20

मजिस्ट्रेट द्वारा समन-मामलों का विचारण

251. अभियोग का सारांश बताया जाना.

252. दोषी होने के अभिवाक् पर दोषसिद्धि.

253. छोटे मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति में दोषी होने के अभिवाकू पर दोषसिद्धि

254. प्रक्रिया जब दोषसिद्ध न किया जाए....

255. दोषमुक्ति या दोषसिद्धि..

256. परिवादी का हाजिर न होना या उसकी मृत्यु.

257. परिवाद को वापस लेना.

258. कुछ मामलों में कार्यवाही रोक देने की शक्ति.....

259. समन-मामलों को वारण्ट मामलों में संपरिवर्तित करने की न्यायालय की शक्ति.

                         अध्याय 21

                       संक्षिप्त विचारण

260. संक्षिप्त विचारण करने की शक्ति...

261. द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेटों द्वारा संक्षिप्त विचारण..

262. संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया.

263. संक्षिप्त विचारणों में अभिलेख..

264. संक्षेपतः विचारित मामलों में निर्णय.

265. अभिलेख और निर्णय की भाषा....

                  अध्याय 21-क

                अभिवाक् सौदेबाजी

265क. अध्याय का लागू होना.

265ख. अभिवाक् सौदेबाजी के लिए आवेदन...

265ग. पारस्परिक रूप से समाधानप्रद निपटारे के लिए मार्गनिर्देश.

265घ. पारस्परिक रूप से समाधानप्रद निपटारा की रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश की जाएगी

265ङ. मामले का निस्तारण.

265च. न्यायालय का निर्णय.

265छ. निर्णय की अन्तिमता.

265ज. अभिवाक् सौदेबाजी में न्यायालय की शक्ति...

265झ. अभियुक्त द्वारा भुगती गयी निरोध की अवधि का मुजरा अधिरोपित कारावास के दण्ड के विरुद्ध किया जाएगा.......

265ञ. व्यावृत्ति.

265ट. अभियुक्त के कथनों का प्रयोग नहीं किया जाएगा..

265ठ. अध्याय का लागू न होना..

                        अध्याय 22

कारागारों में परिरुद्ध या निरुद्ध व्यक्तियों की हाजिरी

266. परिभाषाएँ..

267. बन्दियों को हाजिर कराने की अपेक्षा करने की शक्ति..

268. धारा 267 के प्रवर्तन से कतिपय व्यक्तियों को अपवर्जित करने की राज्य सरकार की शक्ति.

269. कारागार के भारसाधक अधिकारी का कतिपय आकस्मिकताओं में आदेश को कार्यान्वित न करना....

270. बन्दी का न्यायालय में अभिरक्षा में लाया जाना......

271. कारागार में साक्षी की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करने की शकि...

                           अध्याय 23

             जाँचों और विचारणों में साक्ष्य

क-साक्ष्य लेने और अभिलिखित करने का ढंग

272. न्यायालयों की भाषा..

273. साक्ष्य का अभियुक्त की उपस्थिति में लिया जाना..

274. समन-मामलों और जाँचों में अभिलेख..

275. वारण्ट-मामलों में अभिलेख

276. सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण में अभिलेख..

277. साक्ष्य के अभिलेख को भाषा

278. जब ऐसा साक्ष्य पूरा हो जाता है तच उसके सम्बन्ध में प्रक्रिया..

279. अभियुक्त या उसके प्लीडर को साक्ष्य का भाषान्तर सुनाया जाना..

 280. साक्षी की भावभंगी के बारे में टिप्पणियाँ.

281. अभियुक्त की परीक्षा का अभिलेख...

282. दुभाषिया ठीक-ठीक भाषान्तर करने के लिए आबद्ध होगा.

283. उच्च न्यायालय में अभिलेख..

        ख-साक्षियों की परीक्षा के लिए कमीशन

284. कब साक्षियों को हाजिर होने से अभिमुक्ति दी जाए और कमीशन जारी किया जाएगा..

285. कमीशन किसको जारी किया जाएगा.

286. कमोशनों का निष्पादन.

287. पक्षकार साक्षियों की परीक्षा कर सकेंगे.

288. कमीशन का लौटाया जाना.

 289. कार्यवाही का स्थगन...

290. विदेशी कमीशनों का निष्पादन..

291. चिकित्सीय साक्षी का अभिसाक्ष्य.

291क. मजिस्ट्रेट की शिनाख्त रिपोर्ट.

292. टकसाल के अधिकारियों का साक्ष्य....

293. कतिपय सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञों की रिपोर्ट.

294. कुछ दस्तावेजों का औपचारिक सबूत आवश्यक न होना.

295. लोक सेवकों के आचरण के सबूत के बारे में शपथ-पत्र.

296. शपथपत्र पर औपचारिक साक्ष्य.

297. प्राधिकारी जिनके समक्ष शपथपत्रों पर शपथ ग्रहण किया जा सकेगा.

298. पूर्व-दोषसिद्धि या दोषमुक्ति कैसे साबित की जाए....

299. अभियुक्त की अनुपस्थिति में साक्ष्य का अभिलेख..

                     अध्याय 24

जाँचों तथा विचारणों के बारे में साधारण उपबन्ध

300. एक बार दोषसिद्ध या दोषमुक्त किए गए व्यक्ति का उसी अपराध के लिए विचारण न किया जाना........

301. लोक अभियोजकों द्वारा हाजिरी.

302. अभियोजन का संचालन करने की अनुज्ञा..

303. जिस व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही संस्थित की गई है उसका प्रतिरक्षा कराने का अधिकार..

304. कुछ मामलों में अभियुक्त को राज्य के व्यय पर विधिक सहायता...

306. सह-अपराधी को क्षमादान.

305. प्रक्रिया, जब निगम या रजिस्ट्रीकृत सोसाइटी अभियुक्त है...

307. क्षमादान का निदेश देने की शक्ति....

308. क्षमा की शतों का पालन न करने वाले व्यक्ति का विचारण.

309. कार्यवाही को मुल्तवी या स्थगित करने की शक्ति.

310. स्थानीय निरीक्षण...

311. आवश्यक साक्षी को समन करने या उपस्थित व्यक्ति की परीक्षा करने की शक्ति

311क. नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेख देने के लिए किसी व्यक्ति को आदेश देने की मजिस्ट्रेट की शक्ति

312. परिवादियों और साक्षियों के व्यय..

313. अभियुक्त की परीक्षा करने की शक्ति.

314. मौखिक बहस और बहस का ज्ञापन.

315. अभियुक्त व्यक्ति का सक्षम साक्षी होना..

316. प्रकटन उत्प्रेरित करने के लिए किसी असर का काम में न लाया जाना...

317. कुछ मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति में जाँच और विचारण किए जाने के लिए उपबन्ध...

318. प्रक्रिया जहाँ अभियुक्त कार्यवाही नहीं समझता है.

319. अपराध के दोषी प्रतीत होने वाले अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की शक्ति........

320. अपराधों का शमन..

321. अभियोजन वापस लेना.

322. जिन मामलों का निपटारा मजिस्ट्रेट नहीं कर सकता, उनमें प्रक्रिया.

323. प्रक्रिया जब जांच या विचारण के प्रारम्भ के पश्चात् मजिस्ट्रेट को पता चलता है कि मामला सुपुर्द किया जाना चाहिए..

324. सिक्के, स्टाम्प विधि या सम्पत्ति के विरुद्ध अपराधों के लिए तत्पूर्व दोषसिद्ध व्यक्तियों का विचारण...

325. प्रक्रिया, जब मजिस्ट्रेट पर्याप्त कठोर दण्ड का आदेश नहीं दे सकता.

326. भागतः एक न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा और भागतः दूसरे न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा अभिलिखित साक्ष्य पर दोषसिद्धि या सुपुर्दगी.

327. न्यायालयों का खुला होना..

                     अध्याय 25

विकृतचित्त अभियुक्त व्यक्तियों के बारे में उपबन्ध

328. अभियुक्त के पागल होने की दशा में प्रक्रिया.

329. न्यायालय के समक्ष विचारित व्यक्ति के विकृतचित्त होने की दशा में प्रक्रिया. 

330. अन्वेषण या विचारण के लम्बित रहने तक विकृतचित्त व्यक्ति का छोड़ा जाना..

331. जाँच या विचारण को पुनः चालू करना...

332. मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष अभियुक्त के हाजिर होने पर प्रक्रिया.

333. जब यह प्रतीत हो कि अभियुक्त स्वस्थचित्त रहा है..

334. चित्त-विकृति के आधार पर दोषमुक्ति का निर्णय.

335. ऐसे आधार पर दोषमुक्त किए गए व्यक्ति का सुरक्षित अभिरक्षा में निरुद्ध किया जाना

336. भारसाधक अधिकारी को कृत्यों का निर्वहन करने के लिए सशक्त करने की राज्य सरकार की शक्ति..

337. जहाँ यह रिपोर्ट की जाती है कि पागल बन्दी अपनी प्रतिरक्षा करने में समर्थ है, वहाँ प्रक्रिया..

338. जहाँ निरुद्ध पागल छोड़े जाने के योग्य घोषित कर दिया जाता है, वहाँ प्रक्रिया.

339. नातेदार या मित्र की देख-रेख के लिए पागल का सौंपा जाना.

                        अध्याय 26

न्याय-प्रशासन पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के बारे में उपबन्ध

340. धारा 195 में वर्णित मामलों में प्रक्रिया..

341. अपील.

342. खर्चे का आदेश देने की शक्ति.

343. जहाँ मजिस्ट्रेट संज्ञान करे, वहाँ प्रक्रिया.

344. मिथ्या साक्ष्य देने पर विचारण के लिए संक्षिप्त प्रक्रिया..

245. अवमान के कुछ मामलों में प्रक्रिया.

346. जहाँ न्यायालय का विचार है कि मामले में धारा 345 के अधीन कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए, वहाँ प्रक्रिया..

347. रजिस्ट्रार या उप-रजिस्ट्रार कब सिविल न्यायालय समझा जाएगा.

348. माँफी माँगने पर अपराधी का उन्मोचन.

349. उत्तर देने या दस्तावेज पेश करने से इन्कार करने वाले व्यक्ति को कारावास या उसको सुपुर्दगी

 350. समन के पालन में साक्षी के हाजिर न होने पर उसे दण्डित करने के लिए संक्षिप्त प्रक्रिया..

351. धारा 344, 345, 349 और 350 के अधीन दोषसिद्धियों से अपीलें...

352. कुछ न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों के समक्ष किए गए अपराधों का उनके द्वारा विचारण किया जाना.....

                      अध्याय 27

                           निर्णय

353. निर्णय 

354. निर्णय की भाषा और अन्तर्वस्तु.

355. महानगर मजिस्ट्रेट का निर्णय.

356. पूर्वतन सिद्धदोष अपराधी को अपने पते की सूचना देने का आदेश.

357. प्रतिकर देने का आदेश..

357क. पीड़ित प्रतिकर स्कीम

357ख. भारतीय दंड संहिता की धारा 326 क, धारा 376 कख, धारा 376-घ, धारा 376-घक और धारा 376-घख के अधीन जुर्माना प्रतिकर के अतिरिक्त.....

357ग. पीड़ितों का उपचार......

358. निराधार गिरफ्तार करवाए गए व्यक्तियों को प्रतिकर...

359. असंज्ञेय मामलों में खर्चा देने के लिए आदेश.

360. सदाचरण की परिवीक्षा पर या भर्त्सना के पश्चात् छोड़ देने का आदेश.

361. कुछ मामलों में विशेष कारणों का अभिलिखित किया जाना.

362. न्यायालय का अपने निर्णय में परिवर्तन न करना....

363. अभियुक्त और अन्य व्यक्तियों को निर्णय की प्रति का दिया जाना..

364. निर्णय का अनुवाद कब किया जाएगा...

365. सेशन न्यायालय द्वारा निष्कर्ष और दण्डादेश की प्रति जिला मजिस्ट्रेट को भेजना.

                         अध्याय 28

   मृत्यु दण्डादेशों की पुष्टि के लिए प्रस्तुत किया जाना

366. सेशन न्यायालय द्वारा मृत्यु दण्डादेश का पुष्टि के लिए प्रस्तुत किया जाना...

367. अतिरिक्त जाँच किए जाने के लिए या अतिरिक्त साक्ष्य लिए जाने के लिए निदेश देने की शक्ति

368. दण्डादेश को पुष्ट करने या दोषसिद्धि को बातिल करने की उच्च न्यायालय की शक्ति...

369. नए दण्डादेश की पुष्टि का दो न्यायाधीशों द्वारा हस्ताक्षरित किया जाना.

370. मतभेद की दशा में प्रक्रिया..

371. उच्च न्यायालय की पुष्टि के लिए प्रस्तुत मामलों में प्रक्रिया.

                         अध्याय 29

                              अपीलें

372. जब तक अन्यथा उपबन्धित न हो किसी अपील का न होना.

373. परिशान्ति कायम रखने या सदाचार के लिए प्रतिभूति अपेक्षित करने वाले या प्रतिभूति स्वीकार करने से इन्कार करने वाले या अस्वीकार करने वाले आदेश से अपील..

374. दोषसिद्धि से अपील....

375. कुछ मामलों में जब अभियुक्त दोषी होने का अभिवचन करे, अपील न होना.

376. छोटे मामलों में अपील न होना.

377. राज्य सरकार द्वारा दण्डादेश के विरुद्ध अपील

378. दोषमुक्ति की दशा में अपील....

379. कुछ मामलों में उच्च न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध किए जाने के विरुद्ध अपील.

380. कुछ मामलों में अपील करने का विशेष अधिकार.

381. सेशन न्यायालय में की गई अपीलें कैसे सुनी जाएँगी.

382. अपील की अर्जी..

383. जब अपीलार्थी जेल में है, तब प्रक्रिया.

384. अपील का संक्षेपतः खारिज किया जाना.

385. संक्षेपतः खारिज न की गई अपीलों की सुनवाई के लिए प्रक्रिया

386. अपील न्यायालय की शक्तियाँ..

387. अधीनस्थ अपील न्यायालय के निर्णय.

388. अपील में उच्च न्यायालय के आदेश को प्रमाणित करके निचले न्यायालय को भेजा जाना....

389. अपील लम्बित रहने तक दण्डादेश का निलंबन, अपीलार्थी का जमानत पर छोड़ा जाना.....

390. दोषमुक्ति से अपील में अभियुक्त की गिरफ्तारी

391. अपील न्यायालय अतिरिक्त साक्ष्य ले सकेगा या उसके लिये जाने का निदेश दे सकेगा..

392. जहाँ अपील न्यायालय के न्यायाधीश राय के बारे में समान रूप में विभाजित हों, वहाँ प्रक्रिया.....

393. अपील पर आदेशों और निर्णयों का अंतिम होना...

394. अपीलों का उपशमन..

                          अध्याय 30

                    निर्देश और पुनरीक्षण

395. उच्च न्यायालय को निर्देश.

396. उच्च न्यायालय के विनिश्चय के अनुसार मामले का निपटारा..

397. पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अभिलेख मँगाना.

398. जाँच करने का आदेश देने की शक्ति.

399. सेशन न्यायाधीश की पुनरीक्षण की शक्तियाँ.

400. अपर सेशन न्यायाधीश की शक्ति..

401. उच्च न्यायालय की पुनरीक्षण की शक्तियाँ..

402. उच्च न्यायालय की पुनरीक्षण के मामलों को वापस लेने या अन्तरित करने की शक्ति....

403. पक्षकारों को सुनने का न्यायालय का विकल्प..

404. महानगर मजिस्ट्रेट के विनिश्चय के आधारों के कथन पर उच्च न्यायालय द्वारा विचार किया जाना...

405. उच्च न्यायालय के आदेश को प्रमाणित करके निचले न्यायालय को भेजा जाना..

                           अध्याय 31

               आपराधिक मामलों का अन्तरण

406. मामलों और अपीलों को अंतरित करने की उच्चतम न्यायालय की शक्ति..

407. मामलों और अपीलों को अंतरित करने की उच्च न्यायालय की शक्ति.. 

408. मामलों और अपीलों को अंतरित करने की सेशन न्यायाधीश को शकि..

409. सेशन न्यायाधीशों द्वारा मामलों और अपीलों का वापस लिया जाना....

410. न्यायिक मजिस्ट्रेटों द्वारा मामलों का वापस लिया जाना.....

411. कार्यपालक मजिस्ट्रेटों द्वारा मामलों का अपने अधीनस्थ मजिस्ट्रेट के हवाले किया जाना या वापस लिया जाना......

412. कारणों का अभिलिखित किया जाना.

                        अध्याय 32

दण्डादेशों का निष्पादन, निलंबन, परिहार और लघुकरण

                  क-मृत्यु दण्डादेश

413. धारा 368 के अधीन दिए गए आदेश का निष्पादन

414. उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए मृत्यु दण्डादेश का निष्पादन

415. उच्चतम न्यायालय की अपील की दशा में मृत्यु दण्डादेश के निष्पादन का मुल्तवी किया

416. गर्भवती स्त्री को मृत्यु दण्ड का मुल्तवी किया जाना....

                          ख-कारावास

417. कारावास का स्थान नियत करने की शक्ति...

418. कारावास के दण्डादेश का निष्पादन....

419. निष्पादन के लिए वारण्ट का निदेशन.....

420. वारण्ट किसको सौंपा जाएगा.

             ग-जुर्माने का उद्‌ग्रहण

421. जुर्माना उद्‌गृहीत करने के लिए वारण्ट.

422. ऐसे वारण्ट का प्रभाव...

423. जुर्माने के उद्ग्रहण के लिए किसी ऐसे राज्यक्षेत्र के न्यायालय द्वारा जिस पर इस संहिता का विस्तार नहीं है, जारी किया गया वारंट...

424. कारावास के दण्डादेश के निष्पादन का निलंबन...

       घ-निष्पादन के बारे में साधारण उपबन्ध

425. वारण्ट कौन जारी कर सकेगा.

426. निकल भागे सिद्धदोष पर दण्डादेश कब प्रभावशील होगा....

427. ऐसे अपराधी को दण्डादेश जो अन्य अपराध के लिए पहले से दण्डादिष्ट है...

428. अभियुक्त द्वारा भोगी गई निरोध की अवधि का कारावास के दण्डादेश के विरुद्ध मुजरा किया जाना....

429. व्यावृत्ति..

430. दण्डादेश के निष्पादन पर वारंट का लौटाया जाना.....

431. जिस धन का संदाय करने का आदेश दिया गया है, उसका जुर्माने के रूप में वसूल किया जा सकना

    ङ-दण्डादेशों का निलम्बन, परिहार और लघुकरण

432. दण्डादेशों का निलम्बन या परिहार करने की शक्ति..

433. दण्डादेश के लघुकरण की शक्ति...

433क. कुछ मामलों में छूट या लघुकरण की शक्तियों पर निर्बन्धन.

434. मृत्यु दण्डादेशों की दशा में केन्द्रीय सरकार की समवर्ती शक्ति..

435. कुछ मामलों में राज्य सरकार का केन्द्रीय सरकार से परामर्श करने के पश्चात् कार्य करना....

                           अध्याय 33

      जमानत और बन्धपत्रों के बारे में उपबन्ध

436. किन मामलों में जमानत ली जाएगी.

436क. अधिकतम अवधि जिसके लिए विचाराधीन कैदी निरुद्ध किया जा सकता है.

437. अजमानतीय अपराध की दशा में कब जमानत ली जा सकेगी.

437क. अभियुक्त को अगले अपील न्यायालय के समक्ष उपसंजात होने की अपेक्षा करने के लिये जमानत...

438. गिरफ्तारी की आशंका करने वाले व्यक्ति की जमानत मंजूर करने के लिए निदेश...

439. जमानत के बारे में उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय की विशेष शक्तियाँ..

440. बन्धपत्र की रकम और उसे घटाना..

441. अभियुक्त और प्रतिभूओं का बन्धपत्र.

441 क. प्रतिभूओं द्वारा घोषणा...

442. अभिरक्षा से उन्मोचन.

443. जब पहले ली गई जमानत अपर्याप्त है तब पर्याप्त जमानत के लिए आदेश देने की शक्ति.

444. प्रतिभूओं का उन्मोचन..

445. मुचलके के बजाय निक्षेप..

446. प्रक्रिया, जब बन्धपत्र समपहत कर लिया जाता है.

446क. बन्धपत्र और जमानतपत्र का रद्दकरण....

447. प्रतिभू के दिवालिया हो जाने या उसकी मृत्यु हो जाने या बन्धपत्र का समपहरण हो जाने की दशा में प्रक्रिया..

448. अवयस्क से अपेक्षित बन्धपत्र...

449. धारा 446 के अधीन आदेशों से अपील..

450. कुछ मुचलकों पर देय रकम का उद्ग्रहण करने का निदेश देने की शक्ति.

                            अध्याय 34

                         संपत्ति का व्ययन

451. कुछ मामलों में विचारण लंबित रहने तक सम्पत्ति की अभिरक्षा और व्ययन के लिए आदेश..

452. विचारण की समाप्ति पर सम्पत्ति के व्ययन के लिए आदेश.

453. अभियुक्त के पास मिले धन का निर्दोष क्रेता को संदाय...

454. धारा 452 या 453 के अधीन आदेशों के विरुद्ध अपील..

455. अपमानलेखीय और अन्य सामग्री का नष्ट किया जाना....

456. स्थावर संपत्ति का कब्जा लौटाने की शक्ति..

457. संपत्ति के अभिग्रहण पर पुलिस द्वारा प्रक्रिया...

458. जहाँ छह मास के अन्दर कोई दावेदार हाजिर न हो, वहाँ प्रक्रिया..

459. विनश्वर सम्पत्ति को बेचने की शकि...

                     अध्याय 35

             अनियमित कार्यवाहियों

460. वे अनियमितताएँ जो कार्यवाही को दूषित नहीं करतीं..

461. वे अनियमितताएँ जी कार्यवाही को दूषित करती हैं...

462. गलत स्थान में कार्यवाही

463. धारा 164 या धारा 281 के उपबन्धों का अननुपालन..

464. आरोप विरचित न करने या उसके अभाव या उसमें गलती का प्रभाव..

465. निष्कर्ष या दण्डादेश कब गलती, लोप या अनियमितता के कारण उलटने योग्य होगा.......

466. त्रुटि या गलती के कारण कुर्की का अवैध न होना.

                     अध्याय 36

कुछ अपराधों का संज्ञान करने के लिये परिसीमा

467. परिभाषा..

468. परिसीमा-काल की समाप्ति के पश्चात् संज्ञान का वर्जन..

469. परिसीमा-काल का प्रारम्भ

470. कुछ दशाओं में समय का अपवर्जन..

471. जिस तारीख को न्यायालय बन्द हो, उस तारीख का अपवर्जन..

472. चालू रहने वाला अपराध....

473. कुछ दशाओं में परिसीमा-काल का विस्तारण..

                     अध्याय 37

                         प्रकीर्ण

474. उच्च न्यायालयों के समक्ष विचारण.....

475. सेना न्यायालय द्वारा विचारणीय व्यक्तियों का कमान आफिसरों को सौंपा जाना...

476. प्ररूप

477. उच्च न्यायालय की नियम बनाने की शक्ति.

478. कुछ दशाओं में कार्यपालक मजिस्ट्रेटों को सौंपे गये कृत्यों को परिवर्तित करने की शक्ति......

479. वह मामला जिसमें न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट वैयक्तिक रूप से हितबद्ध है.

480. विधि-व्यवसाय करने वाले प्लीडर का कुछ न्यायालयों के मजिस्ट्रेट के तौर पर न बैठना...

481. विक्रय से संबद्ध लोकसेवक का सम्पत्ति का क्रय न करना और उसके लिए बोली न लगाना......

482. उच्च न्यायालय की अन्तर्निहित शक्तियों की व्यावृत्ति...

483. न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालयों पर अधीक्षण का निरंतर प्रयोग करने का उच्च न्यायालय का कर्तव्य.

484. निरसन और व्यावृत्तियाँ.

प्रथम अनुसूची - अपराधों का वर्गीकरण,

द्वितीय अनुसूची- प्ररूप.


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