अभियोजन निदेशालय (सीआरपीसी)-
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 25 'क' में अभियोजन निदेशालय के बारे में आवश्यक प्रावधान किया गया है।
(1) राज्य सरकार एक अभियोजन निदेशालय स्थापित कर सकती है जिसमें एक अभियोजन निदेशक और उतने अभियोजन उप-निदेशक होंगे।
(2) कोई व्यक्ति अभियोजन निदेशक या उप-अभियोजन निदेशक के रूप में नियुक्ति के लिए केवल तभी पात्र होगा यदि वह अधिवक्ता के रूप में कम-से-कम दस वर्ष तक व्यवसाय में रहा है और ऐसी नियुक्ति उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति की सहमति से की जाएगी।
(3) अभियोजन निदेशालय का प्रधान अभियोजन निदेशक होगा जो राज्य में गृह विभाग के प्रधान के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कृत्य करेगा।
(4) प्रत्येक अभियोजन उप-निदेशक, अभियोजन निदेशक होगा जो राज्य में गृह विभाग के प्रधान के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कृत्य करेगा।
(5) प्रत्येक लोक अभियोजक, अपर लोक अभियोजक और विशेष लोक अभियोजक, जो राज्य सरकार द्वारा धारा 24 (1) या (8) के अधीन, उच्च न्यायालयों में मामलों का संचालन करने के लिये नियुक्त किये जायेंगे। अभियोजन निदेशक के अधीनस्थ होंगे।
(6) प्रत्येक लोक अभियोजक, अपर लोक अभियोजक और विशेष लोक अभियोजक, जो राज्य सरकार द्वारा, धारा 24 (3) या (8) के अधीन जिला न्यायालयों में मामलों का संचालन करने के लिए नियुक्त किया जाएगा और प्रत्येक सहायक लोक अभियोजक, जो धारा 25 की उपधारा (1) के अधीन नियुक्त किया जायेगा, अभियोजन उप-निदेशक के अधीनस्थ होगा।
(7) अभियोजन निदेशक और अभियोजन उप-निदेशकों की शक्तियाँ तथा कृत्य तथा वे क्षेत्र जिनके लिये प्रत्येक अभियोजन निदेशक नियुक्त किया जायेगा, ऐसे होंगे जो राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे।
(8) लोक अभियोजक के कृत्यों का पालन करने में, इस धारा के उपबंध राज्य के महाधिवक्ता को लागू नहीं होंगे।
प्रश्न-
दण्ड प्रक्रिया संहिता की किस धारा में अभियोजन निदेशालय के बारे में प्रावधान किया गया है उल्लेख कीजिए।
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