गिरफ्तारी कैसे की जाती है? (सीआरपीसी)
गिरफ्तारी कैसे की जाती है?
धारा 46 में गिरफ्तारी की रीति के बारे में आवश्यक उपबंध किये गये हैं। इस धारा के उपबंधों के अनुसार, (1) गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी या व्यक्ति गिरफ्तार किये जाने वाले व्यक्ति के शरीर को वास्तविक रूप से स्पर्श करके या उसे परिरुद्ध करके गिरफ्तारी कार्यान्वित करेगा। लेकिन इस प्रकार की गिरफ्तारी की रीति केवल उसी दशा में अपनायी जायेगी जब गिरफ्तार किया जाने वाला व्यक्ति स्वयं को मन से पुलिस की अभिरक्षा में सुपुर्द न करे।
परन्तु
जहाँ किसी स्त्री को गिरफ्तार किया जाना है वहाँ तब तक कि परिस्थितियों से इसके विपरीत उपदर्शित न हो, गिरफ्तारी की मौखिक सूचना पर अभिरक्षा में उसके समर्पण कर देने की उपधारणा की जायेगी और जब तक कि परिस्थितियों में अन्यथा अपेक्षित न हो या पुलिस अधिकारी महिला न हो; तब तक पुलिस अधिकारी महिला को गिरफ्तार करने के लिये उसके शरीर को नहीं छुएगा। (संशोधन 2008)
(2) यदि इस तरह से गिरफ्तार किया जाने वाला व्यक्ति गिरफ्तारी का बलात् प्रतिरोध करता है उस दशा में पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति गिरफ्तारी के लिए आवश्यक सब साधनों को प्रयोग में ला सकता है।
(3) इस धारा की कोई बात ऐसे व्यक्ति की जिस पर मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का अभियोग नहीं है, मृत्यु कारित करने का अधिकार नहीं देती है।
(4) असाधारण परिस्थितियों के सिवाय कोई स्त्री सूर्यास्त के पश्चात् और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं की जायेगी और जहाँ ऐसी असाधारण परिस्थितियाँ विद्यमान हैं वहाँ स्त्री पुलिस अधिकारी लिखित में रिपोर्ट करके, ऐसे प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुज्ञा प्राप्त करेगी, जिसकी स्थानीय अधिकारिता के भीतर अपराध किया गया है या गिरफ्तारी की जानी है। (संशोधन 2005)
गुरु बक्श सिंह बनाम पंजाब राज्य 1980 एस. सी. सी. 468 के वाद में उच्चतम न्यायालय ने विनिश्चित किया कि इस धारा के अधीन किसी विशेष औपचारिक प्रक्रिया को आवश्यक नहीं माना गया है। इस धारा का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गिरफ्तार किया जाने वाला व्यक्ति सच्चे मन से स्वयं को गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी या व्यक्ति के समक्ष समर्पित कर दे।
अभिरक्षाधीन कैदियों को हथकड़ी लगाने की वैधता के प्रश्न पर विचार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने प्रभाशंकर शुक्ल बनाम दिल्ली प्रशासन 1980 एस. सी. सी. के वाद में यह अभिनिर्धारित किया कि कारावास से न्यायालय के बीच अभिरक्षाधीन कैदियों को लाने ले जाने के लिये हथकड़ी लगाने से छूट होनी चाहिए। हथकड़ी का प्रयोग अपवाद के रूप में ही किया जाना चाहिए तथा हथकड़ी लगाने पर हथकड़ी लगाए जाने के कारणों का उल्लेख किया जाना आवश्यक है। यदि न्यायालय पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए कारणों से संतुष्ट नहीं है, तो उस दशा में हथकड़ी का लगाया जाना पूर्णतया अवैधानिक होगा।
अभियुक्त द्वारा गिरफ्तारी का बलात् विरोध किए जाने पर गिरफ्तारी के लिये इतना अधिक बल प्रयोग नहीं किया जा सकेगा कि उससे गिरफ्तार किये जाने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाए। परन्तु यदि यह व्यक्ति मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध का अभियुक्त है तो उस दशा में गिरफ्तारी के अनुसरण में उसकी मृत्यु तक कारित की जा सकती है। [धारा 46 (3)]
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