विबंध(Estoppel)- भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023

 

विबंध(Estoppel)- भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 


विबंध का सिद्धांत साम्य,  न्याय, शुद्ध अंतःकरण के सिद्धांत पर आधारित है यह कार्य का कारण न होकर साक्ष्य का नियम है   विबंध अंग्रेजी शब्द (   Estoppel) फ्रेंच भाषा के Estop शब्द से बना है  जिसका अर्थ है रोकना ।


         भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के भाग 4 अध्याय 8 धारा 121 से - 123 तक विबंध से संबंधित है तथा धारा 121 में सामान्य नियम तथा धारा 123 में भी विनिर्दिष्ट मामले प्रावधानित है ।

          धारा 121 में वर्णित सिद्धांत पिकार्ड बनाम सियस  में निर्णित सिद्धांत को मान्यता प्रदान करती है । इस धारा का एकमात्र दृष्टांत इसी प्रकरण के तथ्यों पर आधारित है।

धारा-121 के अनुसार-

विबंध

जब एक व्यक्ति ने अपनी घोषणा, कार्य या लोप द्वारा अन्य व्यक्ति को विश्वास साशय कराया है या कर लेने दिया है कि कोई बात सत्य है और ऐसे विश्वास पर कार्य कराया या करने दिया है, तब न तो उसे और न उसके प्रतिनिधि को अपने और ऐसे व्यक्ति के, या उसके प्रतिनिधि के बीच किसी वाद या कार्यवाही में उस वाद की सत्यता को इंकार करने दिया जाएगा।

दृष्टांत

क साशय और मिथ्या रूप से ख को यह विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है कि अमुक भूमि क की है, और उसके द्वारा ख को उसे क्रय करने और उसका मूल्य चुकाने के लिए उत्प्रेरित करता है। तत्पश्चात् भूमि क की संपत्ति हो जाती है, और क इस आधार पर कि विक्रय के समय उसका उसमें हक नहीं था विक्रय अपास्त करने की वांछा करता है। उसे अपने हक का अभाव साबित नहीं करने दिया जायेगा।

धारा -122 किराएदार का और कब्जाधारी व्यक्ति के अनुज्ञप्तिधारी का विबन्ध-

अचल संपत्ति के किसी भी किरायेदार को या ऐसे किराएदार से व्युत्पन्न अधिकार से दावा करने वाले व्यक्ति को, ऐसी किरायेदारी के चालू रहते हुए या उसके पश्चात् किसी भी समय, इसका इंकार नहीं करने दिया जाएगा कि ऐसे किरायेदार के भूस्वामी का ऐसी अचल सम्पत्ति पर, उस किरायेदारी के आरम्भ पर हक था तथा किसी भी व्यक्ति को, जो किसी अचल संपत्ति पर उस पर कब्जाधारी व्यक्ति की अनुज्ञप्ति द्वारा आया है, इसका इंकार नहीं करने दिया जाएगा कि ऐसे व्यक्ति को उस समय, जब ऐसी अनुज्ञप्ति दी गई थी, ऐसे कब्जे का हक था।

धारा- 123. विनिमय-पत्र के प्रतिग्रहीता, उपनिहिती या अनुज्ञप्तिधारी का विबन्ध- 

किसी विनिमय-पत्र के प्रतिग्रहीता को इसका इंकार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी कि लेखीवाल को ऐसा विनिमयपत्र लिखने या उसे पृष्ठांकित करने का प्राधिकार था, और न किसी उपनिहिती या अनुज्ञप्तिधारी को इसका इंकार करने दिया जाएगा कि उपनिधाता या अनुज्ञापक को उस समय, जब ऐसा उपनिधान या अनुज्ञप्ति आरम्भ हुई, ऐसे उपनिधान करने या अनुज्ञप्ति अनुदान करने का प्राधिकार था।

स्पष्टीकरण 1- किसी विनिमयपत्र का प्रतिग्रहीता इसका इंकार कर सकेगा कि विनिमयपत्र वास्तव में उस व्यक्ति द्वारा लिखा गया था जिसके द्वारा लिखा गया वह तात्पर्थित है।

स्पष्टीकरण 2- यदि कोई उपनिहिती, उपनिहित माल, उपनिधाता से अन्य किसी व्यक्ति को परिदत्त करता है, तो वह साबित कर सकेगा कि ऐसे व्यक्ति का उस पर उपनिधाता के विरुद्ध अधिकार  था।

         विबंध के सिद्धांत-

(1) यह कि कोई अपने दोषपूर्ण कार्य का लाभ नहीं ले सकता ।

(2) यह कि कोई व्यक्ति एक साथ गर्म एवं ठंडी सांस नहीं ले सकता।

 (3) यह कि कोई व्यक्ति एक साथ स्वीकार या अस्वीकार नहीं कर सकता।

      विबंध के प्रकार- 

(1) आचरण द्वारा विबंध

(2) विलेख द्वारा निबंध

(3) अभिलेख या निर्णय द्वारा भी विबंध

               

(1) आचरण द्वारा विबंध- जब कोई व्यक्ति शब्दों या आचरण द्वारा दूसरे व्यक्ति को आशयपूर्वक  दुर्व्यपदेशन  करता है। एवं किसी तथ्य की सत्यता का विश्वास दिलाता है और दूसरा व्यक्ति ऐसे दुर्व्यपदेशन  पर विश्वास कर सत्य मान लेता है और उसे पर कार्य करता है तो व्यपदेशन करने वाले व्यक्ति को उसे वाद या कार्यवाही में उसे तथ्य से इनकार करने से रोका जाता है। 

(2) विलेख द्वारा विबंध- जब कोई मुद्रांकित विलेख पर पवित्र वचन देता है तो वचन देने वाले व्यक्ति को उसे विलेख के तथ्यों के विपरीत कहने से रोक दिया जाएगा। इसलिए लाडॅ मेन्सफील्ड ने कहा कि किसी व्यक्ति को पवित्र विलेख में कही गई बातों से मुकरने नहीं दिया जाएगा।

(3) अभिलेख या निर्णय द्वारा विबंध- अभिलेख द्वारा अभिलेख न्यायालय के निर्णय से संबंधित होता है जब किसी सक्षम न्यायालय के निर्णय द्वारा मुकदमे का निपटारा कर दिया जाता है तो उसे मुकदमे को मुकदमे के पक्षकारों द्वारा पुनः प्रारंभ करने से रोक दिया जाता है।

    इस प्रकार विबंध की व्याख्या सीपीसी की धारा 11 से 14 एवं साक्ष्य अधिनियम के धारा 34 से 38 तक में की गई है।

  शरद चंद्र डे बनाम गोपाल चंद्र लाहा का वाद- आचरण द्वारा व्यपदेशन का उदाहरण है।

श्री कृष्णा बनाम कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी का वाद- शिक्षण संस्थानों के विरुद्ध विबंध से संबंधित है।

          विबंध के अपवाद-

(1) सिद्धांत का अनुप्रयोग जब सत्यता दोनों पक्षकारों  को मालूम है।

(2) विधि के प्रश्न पर विबंध उत्पन्न नहीं हो सकता।

(3) कानून के विरुद्ध विबंद नहीं हो सकता।

            विबंध से संबंधित प्रश्न-

(1) विबंध के सिद्धांत की विवेचना कीजिए।

(2) विबंध के विभिन्न प्रकार समझाइए।

(3) क्या मौन रहना  विबंध है ।

(4) क्या संप्रभु कार्यों के खिलाफ कोई भी विबंध नहीं हो सकता है। 

(5) इस बात की विवेचना कीजिए कि विबंध के नियम मौलिक विधि के स्थान पर साक्ष्य के नियम है। 











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